Son Machhli

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Author: Bhartendu 'Vimal'

Availability: 5 in stock

Pages: 214

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9789357756372

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

सोन मछली

भारतेन्दु ‘विमल’ का यह एक भगीरथी साहित्यिक प्रयास है कि उन्होंने सभ्यता और संस्कृति के गटर-संसार की इस सतत प्रवाहित गटर-गंगा को जनमानस की धरती पर उतारा है ! वैसे तो साहित्य में गणिका या वेश्या का उल्लेख तो क़रीब क़रीब तभी से मिलने लगता है, जब से लिपिबद्ध साहित्य प्रचलन में आया, लेकिन कथा साहित्य में पात्र के रूप में आती गणिका बहुत बाद में दिखाई देती है। गणिका, वेश्या या नगर वधुओं के अर्ध-पौराणिक और अर्ध-ऐतिहासिक प्रसंगों, आख्यानों और वृत्तान्तों को यदि छोड़ भी दिया जाये, तो संसार की औद्योगिक क्रान्ति के बाद गद्य और उपन्यास के विकास के साथ ही फ्रेंच उपन्यासकार ज़ोला का अप्रतिम उपन्यास ‘नाना’ आता है। वेश्याओं की ज़िन्दगी को लेकर लिखी गयी यह शायद आज तक की सर्वश्रेष्ठ रचना है। इसके बाद कुप्रिन के उपन्यास ‘यामा’ पर आँख टिकती है। फिर चेख़व ‘पाशा’ लिखते हैं, बाल्ज़क ‘ड्रॉल स्टोरीज’ लेकर आते हैं। गोर्की की कहानी ‘नीली आँखें’ लिखी जाती है। रिचर्ड बर्टन अपनी भारत यात्राओं में इन और ऐसे यातनाग्रस्त पात्रों पर लगभग एक पूरा शोधग्रन्थ रच डालते हैं। अमेरिका के स्टीफेन क्रेन का उपन्यास ‘मैगी’ पहले दोस्तों में वितरित होता है, फिर छपता है। हेनरी मिलर को वेश्या विषय पर लेखन के लिए अश्लील घोषित कर दिया जाता है। बहुत बड़े नाम हैं इस लिस्ट में। अल्बर्तो मोराविया, विलियम सरोयां, इर्विंग स्टोन, सआदत हसन मंटो से लेकर गुलाम अब्बास तक, पर सोन मछली में जो कुछ भारतेन्दु ‘विमल’ ने लिखा है वह भारत में उपजती-उपजी बाज़ारवादी संस्कृति में यातना सहती औरत – वेश्या के त्रासद की एक बेहद उदास कर देनेवाली क्लान्त कथा है। इसे पढ़ते-पढ़ते, जगह-जगह सोचने के लिए रुकना पड़ता है। संवेदना की साँसों को थामना पड़ता है। जो यथार्थ सतही तौर पर पता है, उसके दारुण सच को गटर-गंगा में उतरकर फिर से पहचानना पड़ता है। इस उपन्यास की रचनात्मकता की शक्ति यही है कि यह पढ़े जाने की ज़िद नहीं करता, बल्कि पढ़े जाने के लिए मजबूर करता है।

सोन मछली में सत्ता, षड्यन्त्र और दलाली के केन्द्र में स्थित भ्रष्ट पूँजीपति की शिकार और लाचार लड़कियों की करुण गाथा साँस ले रही है। यह मुम्बई के रेडलाइट एरिया फारस रोड की उन वेश्याओं की कहानी है जो देह व्यापार के बाज़ार में रोज़ बिकती हैं और एक ही दिन में कई-कई बार बिकती हैं। इनमें भी एक नम्बरवाली हैं और दो नम्बरवाली हैं। यहाँ की सारी संस्कृति ही अलग है। यह उन वेश्याओं के यथार्थ की दूसरी दुनिया है जिसके महापाश में सिर्फ़ वेश्याएँ ही नहीं बल्कि बॉलीवुड, तस्कर, हत्यारे, अंडरवर्ल्ड और घटिया दलाल भी सक्रिय हैं। यह एक चीख़ती, कराहती, सिसकती, नाचती गाती, बेबस वजूद और बेरहम सच्चाइयों की दुनिया है, जिसका सामना इस उपन्यास का नायक चन्दर करता है। फारस रोड की ये यातनाग्रस्त बार- वधुएँ मात्र देह-व्यापार के लिए ही नहीं हैं बल्कि वे पुलिस, राजनीतिज्ञ, नौकरशाहों आदि की फ़ाइलों के फ़ैसलों और उनकी कमाई के काम भी आती हैं।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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