Soochana Ka Adhikar

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Soochana Ka Adhikar

Soochana Ka Adhikar

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Author: Arvind Kejariwal, Vishnu Rajgariya

Availability: 5 in stock

Pages: 160

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9788126713530

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

सूचना का अधिकार

राजशाही में व्यक्ति और समाज के पास कोई अधिकार था, तो सिर्फ़ इतना कि वह सत्तावर्ग की आज्ञा का चुपचाप पालन करे। राजा निरंकुश था, सर्वशक्तिमान। उस पर कोई उँगली नहीं उठा सकता था, न उसे किसी चीज़ के लिए उत्तरदायी ठहराया जा सकता था।

औद्योगिक क्रान्ति तथा उदारवाद के आगमन और लोकतांत्रिक शासन पद्धतियों के प्रारम्भ के साथ ही नागरिक स्वतंत्रता की अवधारणा आई। इसके बावजूद द्वितीय विश्वयुद्ध तक प्रजातांत्रिक देशों में भी शासनतंत्र में ‘गोपनीयता’ एक स्वाभाविक चीज़ बनी रही। विभिन्न दस्तावेज़ों में क़ैद सूचनाओं को ‘गोपनीय’ अथवा ‘वर्गीकृत’ करार देकर नागरिकों की पहुँच से दूर रखा गया। लोकतांत्रिक शासन-व्यवस्था के बावजूद राजनेताओं एवं अधिकारियों में स्वयं को ‘शासक’ या ‘राजा’ समझने की प्रवृत्ति हावी रही।

यही शासकवर्ग आज भारतीय लोकतंत्र का असली मालिक है। नागरिक का पाँच साल में महज़ एक वोट डाल आने का बेहद सीमित अधिकार इतना निरुत्साहित करनेवाला है कि चुनावों में बोगस वोट न पड़ें तो मतदान का प्रतिशत तीस-चालीस फ़ीसदी भी न पहुँचे।

यही कारण है कि अक्टूबर 2005 से लागू सूचनाधिकार लोकतांत्रिक राजा की सत्ता के लिए गहरे सदमे के रूप में आया है। राजनेता और नौकरशाह हतप्रभ हैं कि इस क़ानून ने आम नागरिक को लगभग तमाम ऐसी चीज़ों को देखने, जानने, समझने, पूछने की इजाज़त दे दी है, जिन पर परदा डालकर लोकतंत्र को राजशाही अन्दाज़ में चलाया जा रहा था। इस पुस्तक में संकलित उदाहरणों में आप देख पाएँगे कि किस तरह लोकतांत्रिक राजशाही तेज़ी से अपने अन्त की ओर बढ़ रही है।

साथ ही इस पुस्तक में यह भी बताया गया है कि हम अपने इस अधिकार का प्रयोग कैसे करें।

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Paperback

ISBN

Language

Hindi

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Publishing Year

2022

Pulisher

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