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स्त्री विमर्श: भारतीय परिप्रेक्ष्य
भारतीय नारीवाद भारत की प्रबुद्ध नारियों और विचारकों के चिन्तन की उपज है जिसका प्रमुख ध्येय सामन्ती व्यवस्था द्वारा स्थापित गुलामी से स्त्री को मुक्त करना है। इसमें एक ओर पुरुषवर्चस्व एवं मनुवाद का विरोध है, दूसरी ओर भारतीय जीवन-मूल्यों की नवीन सन्दर्भों में पुनर्व्याख्या एवं पुनःस्थापन का प्रयास भी है। स्त्री के अधिकारों के लिए एवं स्त्री-सशक्तीकरण के लिए जो आन्दोलन चल रहे हैं उनसे भारतीय नारीवाद प्रेरणा ग्रहण करता है। इसमें स्त्री विमर्श के भारतीय परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए स्त्री के संघर्ष में भारत के महिला कथाकारों के समान्तर चिन्तन पर प्रकाश डाला गया है। भारतीय स्त्री विमर्श का स्वरूप भारतीय साहित्य की लेखिकाओं में बौद्धकाल से लेकर समकालीन युग तक अनवरत रूप से प्राप्त होता है। भक्ति आन्दोलन, राष्ट्रीय मुक्ति आन्दोलन, आधुनिक भारतीय नवजागरण एवं समकालीन स्त्री मुक्ति आन्दोलन का इसमें विशेष योगदान रहा है।
प्रस्तुत अध्ययन में भारतीय नारीवाद को रूपायित करने में इन सब आन्दोलनों, विचारधाराओं और महिला रचनाकारों के योगदान का मूल्यांकन करने का प्रयास किया गया है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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