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Description
सूरज गगराइ
सूरज गगराइ जब निरा छोटा था, तभी से वह सुनता आ रहा है कि इस चेरो नदी के सीने पर बाँध बनेगा। उसमें इतना पानी होगा कि दरिया की तरह असीम होगा। इस पार खड़े हो, तो उस पार का छोर नज़र नहीं आएगा। ये तमाम बातें बूढ़े-बुजुर्ग कहा करते थे। यह बताना बेहतर है कि सूरज ने कभी भी इन बातों पर भरोसा नहीं किया। भरोसा क्यों करे, यह तुम लोग ही बताओ। सूरज कोलहान-सन्तान था। कोलहानों के पास जंगल है, खदान है, कितना कुछ है। चेरो बाँध प्रकल्प दुबारा चालू हो रहा है, लेकिन यह कहानी लिखने तक, सदर प्रशासन बेहद चिन्तित है, क्योंकि जिस किसी भी पेड़ के तने पर जिस किसी चट्टान पर सूरज गगराइ का नाम लगातार लिखा जा रहा है, मिटाया जा रहा है…फिर लिखा जा रहा है, फिर मिटाया जा रहा है।
कोलहान में ही ऐसी अनहोनी घटना हो सकती है। सच तो यह है कि सूरज गगराइ, मौत के बाद, प्रशासन को और ज्यादा सता रहा है। बिरसा सेतु पर बेहद उद्धत तरीके से लिखा हुआ है – ‘सूरज गगराइ के अवशेष में काँच और धातु के चूरे क्यों मिले हैं, डी. एस. पी. जवाब दो।’
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2012 |
Pulisher |
Suraj Gagrai –
Hi. I want to know the topic of this book. What is this book about? I haven’t read it yet. But I want to read it. It’s just we have the same name that’s why I m curious about it?