Suraj Ugane Tak

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Suraj Ugane Tak

Suraj Ugane Tak

500.00 375.00

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500.00 375.00

Author: Chandrakanta

Availability: 5 in stock

Pages: 272

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789357756648

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

सूरज उगने तक

मैक्सिम गोर्की ने एक बार रोम्या रोलाँ के नाम अपने पत्र में एक चिन्ता व्यक्त की थी कि हम बड़े-बूढ़े लोग जो जल्दी ही इस दुनिया से कूच कर जायेंगे, अपने पीछे बच्चों के लिए एक दुःखद बपौती छोड़ जायेंगे, एक उदास ज़िन्दगी वसीयत के में सौंपेंगे… जबकि वे चाहते थे कि हमारे बाद इस पृथ्वी को हमसे बेहतर, योग्य और प्रतिभाशाली लोग आबाद कर सकें। ऐसी ही चिन्ता शायद हर प्रतिबद्ध रचनाकार की होती है, भविष्य की चिन्ता। तभी तो साहित्य को वह इन्सानी जीवन की शर्त मानता है, समय का जीवन्त साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए अपनी एक्सरे नज़रों से सही-ग़लत की छानबीन करता है, स्थितियों, घटनाओं को उठाकर विभिन्न परिवेशों में अवस्था से जूझते पात्रों की मनोव्यथा का आकलन करता है।

कश्मीर में जन्मी हिन्दी की प्रगतिशील लेखिका चन्द्रकान्ता का भी अपने लेखन के पीछे कुछ ऐसा ही भाव रहा है। उनकी कहानियों में जहाँ एक ओर आपसी प्रेम और सौहार्द की बेमिसाल धरती कश्मीर और पंजाब का लहूलुहान चेहरा है, घरों से निष्कासन और अपने ही देश में विदेशी होने की पीड़ा है, वहीं आर्थिक, राजनीतिक व्यवस्था के दोगलेपन में फँसे आम आदमी की व्यथा भी है; कहीं भौतिक समृद्धि और औद्योगिक प्रगति के बहाने मशीनी ज़िन्दगी के चक्रव्यूहों से घिरे आदमी की छटपटाहट है तो कहीं मानवीय रिश्तों का ठण्डी कब्रों में क़ैद होकर निःशेष होने की पीड़ा है। इसके बावजूद व्यक्ति की भीतरी ऊर्जा और संघर्ष की शक्ति में अदम्य विश्वास भी है। तभी तो लेखिका निकेनार पारा की तरह आवाज़ पैदा करना चाहती है, इसलिए बोलती है कि वे लोग भी बोलना सीखें जो चुप रहते हैं। ग़लत का मौन स्वीकार संघर्ष-विमुखता है, अतः आवाज़ उठाना ज़रूरी है। रचनाकार अपनी अनुभव-सम्पन्नता के माध्यम से संवेदनात्मक धरातल पर पाठक के सोच पर दस्तक देती हैं। क्योंकि गोर्की की तरह उसके मन में भी एक बेहतर भविष्य का सपना पल रहा है। आशा है, अपने आप को, अपने समय को जानने, समझने और सँवारने की चाहत लिए इन कहानियों को पाठक गहराई के साथ पढ़ेंगे और भावनात्मक सुथरेपन से इन्हें महसूस करेंगे।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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