Surya Puran
Surya Puran
₹500.00 ₹450.00
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Author: Jwalaprasad Chaturvedi
Pages: 320
Year: 2023
Binding: Hardbound
ISBN: 0
Language: Hindi
Publisher: Randhir Prakashan
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Description
सूर्य पुराण
आमुख
वैदिक युग से ही सूर्य उपासना का प्रमुख स्थान रहा है। ऋगवेद में भी सूर्य को संसार की आत्मा कहा गया है क्योंकि यदि सूर्य भगवान नहीं तो जगत् की कल्पना भी नहीं की जा सकती। भारतीय वाङ्मय के सभी ग्रन्थ सूर्य देव को आदिदेव के रूप में स्वीकार करते हैं। पंचदेवों में-विष्णु, शिव, ब्रह्मा, गणेश तथा सूर्य की गणना की जाती है। भारत में सूर्य उपासना के लिए प्राचीन समय से ही मंदिरों की स्थापना होती रही है। अतः ये स्पष्ट है कि सूर्योपासना का प्रचलन भी दीर्घकाल से रहा है।
पुराणों की परम्परा में ब्रह्म पुराण, मार्कण्डेय पुराण व भविष्य पुराण में सूर्य की उत्पत्ति की कथाओं का वर्णन भी मिलता है साथ ही सूर्य की महानता, उपयोगिता व माहात्मय का विस्तार से कथन भी है। सूर्य मन्दिर की प्रतिष्ठा विधि उसके उपासक, पुजारी और पूजा विधान कैसा हो इन सब बातों का उल्लेख भी इन पौराणिक चर्चाओं में पाया जाता है वस्तुतः भारतवासियों के लिए सूर्य एक प्रकाशपुंज या ग्रहमात्र ही नहीं बल्कि वह देवस्वरूप है, पूज्य है, आराध्य है और वह जीवनदाता के रूप में यहाँ सर्वमान्य है। आज भी लाखों व्यक्ति सूर्य नमस्कार करके ही अपनी जीवनचर्या आरम्भ करते हैं।
श्रीकृष्ण-साम्ब सम्वाद के रूप में देखेंगे तो श्री कृष्ण स्वयं कहते हें कि सूर्य प्रत्यक्ष देवता है जबकि अन्य कोई भी देवता प्रत्यक्ष नहीं होते, वह केवल अनुभूति मात्र से ही व्यक्ति की सहायता किया करते हैं। सूर्य ही संसार के नेत्र, दिन के कर्ता और सृष्टि के कालचक्र के नियामक हैं। इसी में जगत् की स्थिति और लय होता है। सूर्य द्वारा ही सतयुग आदि युगों की कालव्यवस्था सम्पन्न हुई है। ग्रह, नक्षत्र, योग, राशि, करण, आदित्य, बसु, रुद्र, वायु, अश्विनिकुमार, प्रजापति, भूलोक, स्वर्लोक, नदियाँ, समुद्र व जीव समूह ( अण्डज, जेरज, स्वदेज) की उत्पत्ति का कारण सूर्य ही है। इसके उदय से ही सब कुछ उदय और इसके अस्त से ही सब कुछ अस्त होता है।
चारों वेदों में सूर्य को परमशक्ति कहते हुए बताया है कि इससे अधिक महत्त्वपूर्ण और कोई देवता नहीं हैं। सूर्य ही सबके ईश, पालन-पोषणकर्ता और अविनाशी हैं। जो सूर्य नारायण का विधिपूर्वक ध्यान कर, जप, पूजा व हवन करता है उसके सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। जो व्यक्ति मण्डल बनाकर प्रातः मध्याह्न व सायंकाल सूर्य की पजा करते हैं वे उत्तम गति को प्राप्त होते हैं।
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
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Publishing Year | 2023 |
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