Swapn Samay

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Swapn Samay

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250.00 200.00

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Author: Savita Singh

Availability: 5 in stock

Pages: 127

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9788183615808

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

स्वप्न समय

सविता सिंह की नयी कविताओं का संग्रह है। इस संग्रह में सविता अपने चिंतन, सरोकारों, सौन्दर्य बोध व भाषा के विशिष्ट उपकरणों के साथ नए इलाकों का संधान करती हैं, जोखिम उठाती हैं और आखिरकार जो मुमकिन करती हैं वह दुर्लभ है। इन कविताओं की विरलता उस धरातल पर है जहाँ अतीत कवयित्री के अनुभव और अभिप्राय में एक जीवित कारक सरीखा प्रकट होता है; स्मृति एक उद्द्दाम प्रवाह की तरह गहरे अंर्तसंघर्षों से संपृक्त है और सारे रूपाकारों अरु बिम्बों को सहेजकर एक अनूठी वसुधा को सिरजती है। इन कविताओं में वास्तव-वर्तमान स्वप्न के जिन धागों, रंगों व रंगतों से आच्छादित है वे हिंदी के सांस्कृतिक बोध को निश्चय ही सम्पंतर बनानेवाले हैं। स्वप्न समय में हिंसा और करुणा, यथार्थ और कल्पना तथा सार्वजानिक और एकान्तिक की अंर्तक्रिया का एक द्वंद्वात्मक रचाव है जो कभी एक प्रगाढ़ और अर्थ-गंभीर मौन रचता है तो कभी एक संशिलष्ट निनाद जिसके आशय में स्थायी अनुगूँजों का वास है। यह स्त्री के अस्तित्व और यथार्थ बोध की ऐसी समग्र दुनिया है जहाँ यातना, पीड़ा तथा अवसाद के बरक्स आशा-आकांक्षा, स्वप्न और नई निर्मितियों की तृप्ति और उल्लास भी सहज सहजीविता में उपस्थित है।

अस्मिताओं की मुक्ति की छटपटाहट और अभिव्यक्ति की उत्कट आकांक्षा के बीच स्त्री मुक्ति की सार्वभौम आवाज ने समाजों और संस्कृतियों में जो जगह बनाई है वह हिंदी कविता में भी महसूस की जा सकती है। सविता सिंह ने इस नयी जमीन पर सर्वाधिक सामर्थ्य के साथ अपने काव्य व्यक्तित्व को निर्मित किया है। अपने जैसा जीवन और नींद थी और रात थी के बाद स्वप्न समय अब उनकी नैसर्गिक शक्तिमत्ता के विलक्षण आख्यान के समान हमारे सम्मुख है। इस संग्रह की कविताओं में अनेक ऐसी कविताएँ हैं जिनमे स्त्री के चेतन, उप-चेतन या अवचेतन की वह अप्रकाशित और नीम-अँधेरी दुनिया है जो ‘प्रकट होकर विकट हो’ जाने को आतुर है। यह दीगर है कि सविता ने इस दुनिया को असीम स्वप्नों में ढालकर स्त्री के कई-कई जन्मों और पुनर्जन्मों की वाहिका, भोक्ता और साक्षी बनने का अभूतपूर्व और सफल उद्दम किया है।

स्वप्न समय की कवयित्री का यह काव्य उद्यम इस अर्थ में अप्रतिम है की यहाँ स्वप्नमयता, फन्तासी और सघन बिम्ब मालाएँ, सब उसी यथार्थ का विस्टा हैं जिसमे अपने जैसा जीवन जीते हुए रचना की नवोन्मेष भरी समृद्धि उपलब्ध की गयी है। यही वह कारण है जिससे स्वप्न समय की उर्जस्वित प्राणवत्ता नितांत मौलिक है-कालातीत गारिमा से दीप्त और अक्षुण्ण।

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Authors

Binding

Hardbound

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Pages

Language

Hindi

Publishing Year

2013

Pulisher

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