Swatantroyattar Kavita Aur Ramdarash Mishra Ka Kavya Vashishtya
₹350.00 ₹265.00
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
स्वातंत्र्योत्तर कविता और रामदरश मिश्र का काव्य वैशिष्ट्य
यह कविता सामाजिक जीवन से जीवन्त जुड़ाव के अभाव में निरन्तर पतनोन्मुख प्रवृत्तियों की ओर बढ़ती हुई अकविता के हस्र तक आती है। ठीक यहीं से प्रगतिशील काव्य–परम्परा की शक्ति पुनः जीवन प्राप्त करती हुई केन्द्र में स्थापित होती है। सातवाँ दशक मुक्तिबोध के साथ–साथ अन्य प्रतिबद्ध कवियों की जनवादी कविताओं के मूल्यवान और बहस का दशक है। यहाँ से कविता की स्पष्ट प्रतिबद्ध परम्परा शक्ति लेती हुई दिखाई देती है। रामदरश मिश्र का सम्बन्ध कविता की इसी प्रतिबद्ध परम्परा से है। मार्क्सवादी विचारधारा के प्रति अपने विश्वास के कारण ही वे जीवन के समूचे विकास को उसकी समग्रता में देख पाते हैं। उनका रचनाकार साकार मनुष्य और मनुष्यता की मुक्ति का स्वप्न देखने वाला चिन्तक रचनाकार है। स्पष्ट रूप से मिश्र जी जीवन की सकारात्मक प्रतिज्ञाओं के कवि हैं। उनकी काव्य–यात्रा में लगातार उनकी सामाजिक चेतना अधिक प्रखर और प्रौढ़ होती गयी है। वे मूलतः सामाजिक चेतना के कवि हैं और उनकी नितान्त वैयक्तिक चेतना भी अन्ततः सामाजिक सरोकारों को समर्पित हो जाती है। वे इन सामाजिक मूल्यों को मात्र चित्रित ही नहीं करते, अपितु उसमें उनके मन की छटपटाहट और मानवीय मूल्यों की पक्षधरता अधिक साफ रूप में दिखाई पड़ती है। उनके लगभग सभी संग्रहों में मानवीय पीड़ा और सामाजिक सरोकारों के प्रति चिन्ता को देखा जा सकता है। इसके साथ ही साथ मिश्र जी का जीवन के प्रति साक्षात्कार यथार्थ को उसके असलीपन में पहचानने की गहरी किन्तु सहज प्रक्रिया भी दिखाई पड़ती है। उनकी आत्म–पीड़ा में भी जो आशा–आकांक्षा का स्वर सुनाई पड़ता है, वह भी लोकोन्मुख ही अधिक है। नयी पहचान के रूप में देखे।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.