- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
ताश के पत्ते
‘‘देश में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बेरोज़गारी से जूझते लाखों हिन्दुस्तानी युवाओं का सपना है – सरकारी नौकरी। इस सपने को साकार करने के लिए वे अपनी जवानी के आठ-दस साल इसमें लगा देते हैं। लेकिन कठिन, लम्बे संघर्ष के बावजूद भी बहुतों को नौकरी हाथ नहीं लगती। इसका कारण अभ्यर्थियों की काबिलियत की कमी ही नहीं लेकिन व्यवस्था की अनियमितताओं का नतीजा भी होता है। ऐसा ही कुछ स्टाफ सलेक्शन कमीशन की कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल की 2013 से लेकर 2017 तक की परीक्षाओं में हुआ, जब इन परीक्षाओं के नतीजे लम्बे समय तक घोषित नहीं हुए।
इससे अभ्यर्थियों की बरसों की कड़ी मेहनत पर पानी फिर गया और बहुत तो तय सरकारी आयु-सीमा से बाहर ही हो गये। लम्बे समय तक अभ्यर्थियों के धरना-प्रदर्शन का भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.