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Description
ताजमहल तेजोमहालय शिव मंदिर है
प्राक्कथन
सम्भवतः जीवन में एक बार भी प्रवंचित न होने वाला व्यक्ति कोई नहीं है, परन्तु क्या समूचे विश्व को प्रवंचित किया जा सकेगा ? यह असम्भव प्रतीत होता है। फिर भी सैकड़ों वर्षों से भारतीय एवं विश्व इतिहास में की गई हेरा-फेरी से समूचे विश्व को ही धोखा दिया जा रहा है।
विश्व का सुप्रसिद्ध भवन आगरा का ताजमहल इसका एक ज्वलन्त उदाहरण है। निजी समय, धन का व्यय एवं कष्ट सहते हुए ताजमहल देखने के लिए विश्व भर से हजारों पर्यटक आते रहते हैं, वास्तव में उन्हें यह विदित कराना चाहिए कि ताजमहल इस्लामी मकबरा न होकर ‘तेजोमहालय’ नाम का शिव मंदिर है जो तत्काल्लीन राजा जयसिंह से पंचम मुगल सम्राट् शाहजहाँ ने छीन लिया था। अतः ताजमहल को शिव मंदिर की दृष्टि से देखना चाहिए न कि इस्लामी मकबरे की दृष्टि से। दोनों में आकाश-पाताल जैसा अन्तर है। कहाँ कब्र और कहाँ देवालय ! अब आप इसे इस्लामी मकबरे की दृष्टि से देखते हैं तब इसकी महत्ता, वैभव और सुन्दरता निरर्थक एवं निराधार लगती है, परन्तु ज्यों ही एक मंदिर की दृष्टि से इसका पर्यवेक्षण करेंगे तब आप निश्चय ही इसकी परिखाएँ, छोटी-छोटी पहाड़ियाँ, भवन के विविध दालान, झरने, फौव्वारे, शानदार बगीचे, सैकड़ों कमरे, कमानों से सुसज्जित बरामदे, चबूतरे, बहुमंजिले-महल, गुप्त एवं बन्द कक्ष, अतिथिशाला, अश्वशाला, गौशाला, गुम्बद और वर्तमान नकली कब्र कक्ष (जहाँ कभी शिवलिंग होता था) की बाहरी दीवारों पर खुदे पवित्र ऊँ अक्षर की ओर दृष्टि डालेंगे तो एक नया ही रूप दिखने को मिलेगा। इस पुस्तिका में हम उस सनसनीखेज ऐतिहासिक शोध को संक्षिप्त रूप में ही प्रस्तुत कर रहें हैं।
इसके विभिन्न प्रमाण अधिक गहराई से अध्ययन करने हेतु पाठक पी.एन. ओक की पुस्तक ‘ताजमहल मंदिर भवन है’ पढ़ें जिसमें विस्तृत विवरण सचित्र प्रमाणों के साथ है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2021 |
Pulisher |
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