TaLash

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295.00 250.00

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Author: Piyush Daiya

Availability: 5 in stock

Pages: 128

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389577143

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

(लाश)

पीयूष की ये कविताएँ वेदना की सान्द्र निजता को कुछ इस तरह रच रही हैं, जहाँ पाठक उसे अपने अनुभव, स्मृति और कल्पनाशीलता में मुक्त भाव से पा सके। विषयी और विषय को देखते-महसूस करते, थोड़ा बहुत अपने अनुभवों की भाषा में जानते पाठक पाता है कि यहाँ वेदना की प्रगाढ़ता, जो सहज भाव से किसी अन्तरंग की मृत्यु से जुड़ी महसूस होती है, एक तरह की स्वरता भी अपने में समोए है। यह प्रशान्त और गम्भीर स्वरता ही इन्हें पाठक के अन्तर्मन तक पहुँचाती है। संरचना की ज़ाहिर भिन्नता का कारण भी सम्भवतः यही है कि कहने, सहने, रहने, जीने के अन्दर कहीं वह मरना भी शामिल है, जिसके अ-भाव को, भाव की ऐसी धीर और इसी धीरता से सम्पृक्त ऐसी अनेक स्वरीय ललित भाषा में कहा जा सके, जो दु:ख की इस प्रगाढ़ता को दो टूक आर्थी स्तर पर कहने की औसत सांसारिकता या सामाजिकता से भिन्न है। वेदना और अस्ति-चिन्ता का आत्मानुभवी एहसास इसकी गति-प्रकृति और शिल्प में प्रयोगधर्मिता को निरा खेल बनने से रोकते हैं—इसलिए ही यहाँ पाठ का मुक्त अवकाश बिलकुल ही अलग और मौलिक है।

इतने निकट से ‘मृत्यु’ के अनुभवों को सामने लाती इन कविताओं में ‘दु:ख’ उस तरह से वाचाल नहीं लगता कि उसे तात्कालिक भावुक प्रतिक्रिया की तरह देखा जा सके। शायद रचने के दौरान या कि रचना-प्रक्रिया में कविता की अपनी परम्परा की स्मृति की सक्रियता भी रही हो, कला की अपनी भाषा को स्वायत्त करने की ऐसी चेष्टा भी, जो उसे दु:ख के निरे आत्म-प्रकाशन से थोड़ा अलग कर सके। इन कविताओं में प्रतिबिम्बित करते बिम्बों की जगह, एक तरह की पारिवारिक स्थानिकता है, जो इसकी भाषा की सर्जनात्मकता का उत्स और आधार दोनों है। और यही वजह है कि इसमें जीवन और मृत्यु युगपद चित्रों की तरह, बल्कि गतिमान चित्रों की तरह गति करती लगती है।

—प्रभात त्रिपाठी

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Binding

Hardbound

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Publishing Year

2019

Pulisher

Language

Hindi

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