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तनी हुई प्रत्यंचा : बीसवीं शताब्दी की रूसी कविताएँ
बीसवीं शताब्दी की रूसी कविता आधुनिक विश्व-कविता का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे भारतीय पाठक का जुड़ाव खासा लम्बा है। इस बीच हिन्दी में रूसी कविता के अनेक अनुवाद प्रकाशित हुए हैं, लेकिन यह संकलन इस दृष्टि से विशिष्ट है कि यहाँ पहली बार एक सम्यक् परिप्रेक्ष्य में सम्पूर्ण रूसी कविता को एक नये कलेवर में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। यहाँ उद्देश्य यह रहा है कि आधुनिक रूसी कविता का पूरा व्यक्तित्व अपने अलग-अलग रंगों में प्रतिबिम्बित हो सके।
इस संकलन में यदि एक ओर ब्लोक की सघन गीतात्मकता मिलेगी तो दूसरी ओर अन्ना अख्मातोवा की गहरी तनावभरी स्त्री चेतना। इसके साथ ही पास्तरनाक के प्रकृति सम्बन्धी बिम्बों की अर्थच्छटा और त्स्वेतायेवा के ‘ट्रैजिक विजन’ को हिन्दी में उतारने की एक सार्थक कोशिश भी। पाठक यहाँ देखेंगे कि इस प्रयास का एक लक्ष्य यह भी रहा है कि उसे केवल शिखरों तक सीमित न रखा जाये, बल्कि उन सार्थक काव्य प्रयासों को भी यहाँ प्रतिध्वनित किया जाये, जिन्होंने विगत तीन दशकों में अपनी महत्त्वपूर्ण पहचान बनाई है। ऐसे कवियों में केवल येव्तूशेंको, वोज़्नेसेन्स्की या ब्रोद्स्की ही नहीं हैं बल्कि यून्ना मोरित्स और कुश्नेर जैसे कवि भी। यही नहीं, कुछ वरिष्ठ कवि भी यहाँ पहली बार हिन्दी में लाये गये हैं, जिनमें स्लूत्स्की और क्रोपिव्नीत्स्की प्रमुख हैं।
हमें विश्वास है कि अपने विशिष्ट एवं बहुआयामी व्यक्तित्व के कारण आधुनिक रूसी कविताओं का प्रस्तुत संकलन तनी हुईं प्रत्यंचा हिन्दी पाठकों को एक नये सौन्दर्य-लोक में प्रवेश करने का आमंत्रण देगा और साथ ही एक सांद्र और प्रगाढ़ कलात्मक परितृप्ति भी।
कवि-क्रम
- अलेक्सांद्र ब्लोक
- वेलिमीर ख्लेब्निकोव
- अन्ना अख्मातोवा
- निकोलाइ असेयेव
- बोरीस पास्तरनाक
- ओसिप मांदेल्श्ताम
- मारीना त्स्वेतायेवा
- ब्लादीभिर मायकोव्स्की
- सेर्गेइ येसेनिन
- निकोलाई ज़बोलोत्स्की
- लेओनीद मर्तीनोव
- अर्सेनी तर्कोव्स्की
- बोरीस स्लूत्स्की
- लेव क्रोपिव्नीत्स्की
- अलेक्सांद्र कुश्नेर
- आंद्रेइ वोज्नेसेन्स्की
- येव्गेनी येव्तूशेंको
- बेल्ला अख्मादूलिना
- यून्ना मोरित्स
- व्याचेस्लाव कुप्रियानोव
- इओसिफ ब्रोद्स्की
कवि-परिचय
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 1994 |
Pulisher |
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