Tantrik Tarang
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Description
भूमिका
आज मैं कुछ अलौकिक तान्त्रिक शक्ति से परिपूर्ण अचूक और प्रमाणिक प्रयोग लोकहित में प्रस्तुत करने जा रहा हूँ। इस साधना को आगे बढ़ाने से पहले कुछ आज के तान्त्रिकों और ज्योतिषियों पर दों शब्द लिखना चाहूँगा कि आज तान्त्रिक और ज्योतिषी हर जगह, शहर हो या गाँव देखने को मिल रहे हैं जो अनेकों पीड़ित व्यक्तियों को लूट रहे हैं। ऐसे तान्त्रिकों और ज्योतिषियों से बचना होगा। आज ज्योतिष एवं तन्त्र-मन्त्र को सही दिशा देने के कार्य में केवल कुछ ही ईमानदार ज्योतिषी लगे हुए हैं। कई जगह ज्योतिष सम्मेलन व समारोह किए जा रहे हैं और इन ज्योतिष सम्मेलनों में
सिर्फ नाना प्रकार के पुरस्कार जैसे-गोल्ड मैडल, रजत पदक, आचार्य और न जाने क्या-क्या प्रदान किए जाते हैं। यह सब उपाधियाँ धनलोलुपता की ओर संकेत देती हैं। सच मानें यह उपाधिधारक अपने पर गर्व करते हुए विज्ञापन देते हैं तो लोग आकर्षित हो जाते हैं। भाई केवल मूंड को मुंडा लेने से हरि नहीं मिलते हैं। कहा गया है –
मूंड मूड़ाये हरि मिले, सब कोई लेय मुड़ाय।
बार-बार के मूंड़ते, भेड़ बैकुण्ठ न जाए॥
आज तान्त्रिक सामग्रियों की बिक्री बढ़ गई है। आप स्वयं ही सोचें
यह अशुद्ध और अप्रमाणिक सामग्री आपके मन की कामना पूर्ण नहीं कर सकती है। असली-नकली की पहचान करना दूभर हो गया है। इससे बचें।
अब इतना लिखकर आपके लिए तान्त्रिक तरंग प्रस्तुत है। देखें सोचें और अमल में लाएँ। इस साधना को करने के लिए कोई किसी प्रकार की दीक्षा प्राप्त करने की जरूरत नहीं है। आज सच्चे दीक्षा देने वाले गुरु का मिलना भी लगभग समाप्ति पर है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
Reviews
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