Tattwamasi

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350.00 262.00

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Author: Jaya Jadwani

Availability: 5 in stock

Pages: 358

Year: 2010

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350001950

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

तत्वमसि

जया जादवानी का तत्वमसि सामान्य प्रेमकथात्मक उपन्यास नहीं है। यह उपन्यास मनुष्य के अन्तरंग सम्बन्धों के जटिल अन्तर्वाध की गम्भीर प्रस्तावना है। इसकी केन्द्रीय चरित्र मानसी जब यह कहती है कि जो हम महसूस करते हैं, जो हमसे बाहर आने को थरथराता रहता है, उसे हम शब्द देने की कोशिश करते हैं। और जो शब्द दे पाते हैं, यह कभी भी वह नहीं होता, जो हमने महसूस किया तो इन पंक्तियों में हम उसी सम्प्रेषण की असमर्थता नहीं-स्त्री-पुरुष सम्बन्ध के अन्ततः अव्याख्य रह जाने के विवश निष्कर्ष या निर्मम नियति को जैसे पहचान लेते हैं।

पहाड़, जंगल, नदी-इन शीर्षकों को बाँटकर जया जादवानी स्त्री-पुरुष जगत् के आशयों को व्यक्त करती है। इस प्रक्रिया में मनुष्य जीवन के राग-विराग, सम्पूर्ण आसक्ति के साथ, अनासक्त होकर प्रस्तुत होते हैं। यहाँ प्रेम के बहाने जीवन को समझने का उपक्रम भी मौजूद है। प्रेम की विसंगत संगति में ही उसकी पूर्णता है। वहाँ कोई सतही वर्गीकरण काम नहीं आता और अन्ततः अनसुलझे रहस्य में ही प्रेम की परिणति सम्पूर्णता ग्रहण करती है। इसी अकथनीयता को कथनीय बनाने के लिए लेखिका जीवन के कठिन प्रसंग और उनके मार्मिक अर्थ को रेखांकित करने के लिए शास्त्र, विज्ञान, दर्शन, मनोविज्ञान और साहित्यिक सन्दर्भों का रचनात्मक इस्तेमाल करती है।

सिद्धार्थ-मानसी-विक्रम के माध्यम से जया जादवानी जीवन के तत्सम यथार्थ को भले ही बौद्धिक विमर्श के रूप रखती हैं, लेकिन यह संवाद उलझी हुई पहेली नहीं बनता बल्कि व्यंजित होने से रह गये सम्बन्धों के प्रश्नों को वाद-विवाद की संरचना में उत्तर देने की कोशिश नज़र आता है। यहाँ गज़ब की सहज लाक्षणिकता है क्योंकि अभिधा नहीं है ज़िंदगी मानने वाले इस उपन्यास के पात्र अपने हर्ष और विषाद-दोनों को तार्किकता के साथ ग्रहण करते हैं।

जया जादवानी ने पत्र-शैली का भी अच्छा उपयोग किया है और ख़ासकर अन्त में वह गद्य में कविता के नज़दीक पहुँचने में भी सफल हुई हैं।

– हेमंत कुकरेती

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2010

Pulisher

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