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Description
ठकुराइन सारदासुन्दरी
माँ नहीं, आठ वर्ष की शाकम्भरी से सारदासुंदरी में रूपांतरित होने वाली एक सम्पूर्ण नारी की प्राप्ति-अप्राप्ति, उसका जीवनबोध, यौनता बोध, संस्कृति बोध, उसकी पीड़ा, इस उपन्यास के पन्नों पर उभारी गयी हैं। तत्कालीन बांग्ला समाज और ठाकुरबाड़ी के अन्दरमहल पर पड़े पर्दे को हटाकर सामने आयी है, ठकुराइन सारदासुंदरी।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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