Thames Taral Itihas Hai

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Thames Taral Itihas Hai

Thames Taral Itihas Hai

350.00 300.00

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Author: Rajwanti Maan

Availability: 5 in stock

Pages: 144

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389220827

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

थेम्स तरल इतिहास है

आपके हाथों में आई यह किताब पारम्परिक ‘दैनंदिनी’ (डायरी) के बजाय देश से विदेश (इंग्लैंड ) की तिथिमुक्त ‘नंदिनी’ है। हवाई यात्रा में लाहौर, काबुल, ईरान ,भारतीय आबादी आस्राखान, वोल्गाग्राद, वर्सोव घेटो (यहूदी बस्ती) बर्लिन इत्यादि की आंचलिंक खूबियों की झलक देकर लंदन के हीथ्रो हवाई पत्तन में पहुँच जाती है। इसके बाद लंदन शहर केंद्रीभूत हो जाता है; आदि से अंत तक आगे कुछ दिन तेज-सुस्त कदमों से संदर्शन शुरू होता है।

हिंदी में भारत में शायद पहली बार इसका सारा आकृतिबंध (पैटर्न) प्रबंधित – व्यवस्थित है : विश्व की घ्यातव्य चुनिन्दा अभिलेखीय (आर्काइक) काल-कला वस्तुओं में। संग्रहालयों, धरोहरों, इतिहासों के मानों बहुसांस्कृतिक अभिलेखों (आर्काइव्ज) तथा विश्वकोषों (एन्साडक्लोपीडिया) का संचयन है।

लेखिका राजवंती मान स्वयं आर्किविस्ट हैं जो संग्रहित कृतियों पर विशेषज्ञ टिप्पणियाँ तथा उम्दा विवेचन करती हैं मानो पाठक रनिंग कमेन्‍ट्री जैसे वृत्तान्त समझ रहा हो। वह तिथि-निरपेक्ष यात्राएँ करती कराती हैं। जरुरत पड़ने पर ऐतिहासिक सन्दर्भ जोड़ देती हैं। हम चुने हुए पूरे विश्व को जान जाते हैं। हां, यह ‘नंदिनी’ लेखिका द्वारा खींचे गये प्रासंगिक फोटोग्राफों से भी संयुक्त है।

बार्बिकन स्टेशन के एक ओर बेटी शिक्षा के पास आवास है तो दूसरी और लंदन म्यूजियम, जो पहली सदी में रोमनों द्वारा बनाई ‘लंदन वाल’ के साथ स्थित है। यहाँ से पाठकों की लंदन यात्रा शुरु होती है। यूस्टन रोड पर स्थित ब्रिटिश लाइब्रेरी’ और ‘इंडिया ऑफिस लाडब्रेरी’ में भारत और ब्रिटेब के सदियों पुराने रिश्तों के अवशेष, पांडुलिपियाँ, शेक्सपियर, मिल्टन, शैले आदि के प्रथम प्रिंटों, संस्करणों से होते हुए, रईसा तूर से दोस्ती बनाते भूतकाल से वर्तमान की ओर कदम बढ़ते हैं। आधुनिक लंदन की राहें, कूचों समेत शहर के वास्तुशासत्र, नगर-निवेश (टाउन प्लानिंग) का ज्ञान प्राप्त करते हैं : महानगर का एक जटिल ब्लू प्रिंट।

साऊथ कैंसिंगटन के ‘प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय’ में चार्ल्स डार्विन की प्रस्तर प्रतिमा और वे दो कबूतर भी दिखेंगें जिन्होंने उन्हें प्रजातियों के उन्मीलन का सिद्वान्त स्थापित करने में सहायता की, विश्व की अति विशिष्ट घरोहरों से भरी एक ‘तिजोरी’ कक्ष (वॉल्ट) एवं विविध संग्रह हमें ऐतिहासिक ज्ञान देते हैं।

ब्रिटिश संग्रहालय में सिन्धु-सभ्यता के अनेक अवशेष, यक्षिणी की विलक्षण अद्वितीय प्रतिमा जिसमें वह कंधों पर तीरों का पिटारा पहने है। यहीं चांदी का विशाल थाल दीप्तिमान है जिसमें पूरी रामायण उत्कीर्ण है। संग्रहालयों में प्रदर्शित अधिकांश काल कला वस्तुएं (आर्टिफैक्ट्स) कालावीत तथा कालोत्तर हैं। ब्लूम्सबरी एरिया तो हमें चकित करेगा बार-बार। ये खामोशियाँ तो बातें करतीं, ज्ञान देती, इतिहास को पूरा करती हैं। यहाँ यह चेतावनी भी ग्रहण करनी होगी कि हम अपनी संस्कृति-इतिहास के प्रति कितने अज्ञानी और अंधकारलिप्न हैं।

ट्रफलगर स्क्वायर में नेशनल गैलरी ऑफ़ पेंटिंग्स में। 13वीं से 20वीं सदी के चितेरे बोटिसेल्ली, लियोनार्दों , माइकलएंजलो, राफेल , वेरोनीस इत्यादि के चित्रफलक वर्णित हैं। बालकों के लिए बाल कविताओं के पीछे की कहानियाँ भी चकित करती हैं। वहीं महाराजा रणजीत सिंह की पौत्री सोफिया दलीप सिंह की भी ‘सफरगेट’ अख़बार की प्रतियों की यादें हैं। पंजाबी साहित्य-जगत की विविधता, बीस वर्षों से शिव कुमार बटालवी सालाना समारोह के आयोजक तलविंदर ढिल्लों द्वारा डॉ राजवंती मान का सम्मान और कीव गार्डन्स स्थित इंग्लैंड के ‘नेशनल आर्काइव्ज’ की यात्रा, मिस टेरिश और लेखिका मान, अभिलेख विशेषज्ञों की इतिहास वार्ता-और इतिहास ? सम्पूर्ण ‘नंदिनी’ में आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भी यत्र-तत्र-सर्वत्र महा-इतिहासबोध है। इसके फलस्वरूप पुरानी सभ्यता-संस्कृतियों का कई भागों वाला पश्चिमी- पूर्वीय सिलसिला पूरा हो जाता है जो फासलों को मिटाकर विश्व का एक ‘सांस्कृतिक पैटर्न’ पेश करता है। हम भी इस दुर्लभ, अप्राप्य संसार के बानी तथा हिस्सेदार हो जाते हैं।

अंत में यह अनंत : हाईगेट सिमेट्री (प्राइवेट) में कार्ल मार्क्स की समाधि और उनकी आकंठ स्लेटी पत्थर की प्रतिमा है जिसमें वे चिर जागरुक निद्रा में संसार का अवलोकन कर रहे हैं। प्रतिमा का स्तम्भ सात फीट का है। विदेश में ही नांदी की मूर्ति, बुद्ध दर्शन, नीरो के सिक्के और विविध यादें लिए बेटी शिक्षा, कुलवंत, एलेन हॉल, रईसा तूर, फ्रेंसिस्का ओर्सिनी, मिस टेरिश और तुर्की ड्राईवर फवाद खान का विदुषी राजवंती मान धन्यवाद करती है।

वो आइये इस यात्रा-नंदिनी के साथ-साथ कला-दीर्घाओं, संग्रहालयों, पुरालेखागारों तथा इतिहास की केंद्र-अपसारी यात्राएँ करें।

– रमेश कुंतल मेघ

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Hardbound

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Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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