Trahi-Trahi

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Author: Narendra Kohli

Availability: 5 in stock

Pages: 344

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9788170555858

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

त्राहि-त्राहि

अनासक्त विवेक जब न्याय के पक्ष में अपने आक्रोश को कलात्मक रूप में अभिव्यक्त करता है, तो व्यंग्य का जन्म होता है। व्यंग्य की आत्मा है, उसकी प्रखरता और तेजस्विता। हास-परिहास, विनोद, कटाक्ष इत्यादि उसके सहयोगी हो सकते हैं; किन्तु उनका असन्तुलित प्रयोग प्रखरता की हानि भी कर सकता है, जैसे पक्षपात तथा पूर्वाग्रह उसके तेज को नष्ट कर देता है। विधा के रूप में व्यंग्य का केन्द्रीय स्वरूप यद्यपि व्यंग्य-निबन्ध के शिल्प में ही उभरा है; किन्तु ‘कथा’ तथा ‘काव्य’ के ही समान ‘व्यंग्य’ एक ऐसा तत्त्व है, जिसमें व्यंग्य-निबन्ध, व्यंग्य-कथा, व्यंग्य-उपन्यास तथा व्यंग्य-नाटक का जन्म होता है।

नरेन्द्र कोहली के सृजन में कथा तथा व्यंग्य-दोनों का ही संयोग है। उनकी आरम्भिक कहानियों में भी व्यंग्य की झलक देखी जा सकती है; किन्तु इस संकलन में केवल वे ही रचनाएँ सम्मिलित की गयी हैं, जो व्यंग्य के रूप में ही लिखी गयी हैं-उनका शिल्प चाहे निबन्ध का हो, संस्मरण का हो, कथा का हो, आत्मकथा का हो, उपन्यास का हो, नाटक का हो। उनकी रचनाओं में मौलिक प्रयोगों का अपना महत्त्व है। वे प्रयोग फंतासी तथा अवश्रद्ध कथा-रूपों में भी हो सकते हैं।

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Hardbound

Language

Hindi

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Publishing Year

2015

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