Trishul

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Trishul

Trishul

199.00 149.00

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199.00 149.00

Author: Shivmurti

Availability: 5 in stock

Pages: 104

Year: 2012

Binding: Paperback

ISBN: 9788126723485

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

त्रिशूल

‘त्रिशूल’ वरिष्ठ कथाकार शिवमूर्ति का ऐसा उपन्यास है जो उनकी कहानियों की लीक से हटकर एक नए दृष्टिबोध और तेवर के साथ सामने आता है। साम्प्रदायिकता और जातिवाद हमारे समाज में अरसे से जड़ जमाए बैठे हैं पर इनकी आँच पर राजनीति की रोटी सेंकने की होड़ के चलते इनके ज़हर और आक्रामकता में इधर चिन्ताजनक वृद्धि हुई है। फलस्वरूप, आज समाज में भयानक असुरक्षा, अविश्वास और वैर-भाव पनप रहा है। धर्म, जाति और सम्प्रदाय के ठेकेदार आदमी और आदमी के बीच की खाई को निरन्तर चौड़ी करते जा रहे हैं।

‘त्रिशूल’ न केवल मन्दिर-मंडल की बल्कि आज के समाज में व्याप्त उथल-पुथल और टूटन की कहानी है। देशव्यापी उथल-पुथल को कथ्य बनाकर लेखक जातिवाद के विरूप और साम्प्रदायिकता की साज़िश को बेबाकी और निर्ममता से बेनक़ाब करता है। ओछे हिन्दूवाद को ललकारता है।

त्रिशूल को प्रशंसा के फूल ही नहीं, विरोध के पत्थर भी कम नहीं मिले। इसे जातियुद्ध भड़काने और आग लगानेवाली रचना कहा गया। इस पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए पैम्फ़लेटों और सभाओं द्वारा लम्बा निन्दा अभियान चलाया गया।

यह उपन्यास इस तथ्य को भी स्पष्टता से इंगित करता है कि प्रतिगामी शक्तियों का मुँहतोड़ जवाब शोषण और उत्पीड़न झेल रहे दबे-कुचले ग़रीबजन ही दे सकते हैं, दे रहे हैं।

उपन्यास के पात्र, चाहे वह पाले हो, महमूद हो, शास्त्री जी हों, चौकीदार या मिसिराइन हों, यहाँ तक कि गाय, बछड़ा या कुत्ता झबुआ हो, पाठक के दिल में गहराई तक उतर जाते हैं।

भारतीय समाज के अन्तर्विरोधों को उजागर करता एक स्मरणीय-संग्रहणीय उपन्यास।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2012

Pulisher

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