Unki Srishti Apni Drishti

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Unki Srishti Apni Drishti

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495.00 425.00

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Author: Rakesh Shukla

Availability: 5 in stock

Pages: 256

Year: 2019

Binding: Hardbound

ISBN: 9789388260527

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

उनकी सृष्टि अपनी दृष्टि

ये समीक्षाएँ सन् 2007 से 2018 ई. के बीच विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। कुछ समीक्षाएँ सम्बन्धित पुस्तकों के लोकार्पण समारोह में प्रस्तुत की गई है और कुछ प्रकाशित पुस्तकों की भूमिकाओं के रूप में लिखी गई हैं।

समीक्ष्य पुस्तकों में कई चर्चित कृतियाँ हैं, जैसे – ‘अकथ कहानी प्रेम की : कबीर की कविता और उनका समय’ – पुरुषोत्तम अग्रवाल, ‘अज्ञेय से साक्षात्कार’ – कृष्णदत्त पालीवाल, ‘व्योमकेश दरवेश’ – विश्वनाथ त्रिपाठी, ‘कविवर बच्चन के साथ’ – अजित कुमार, ‘चिन्तन, मनन और विवेचन’ – कुमार विमल, ‘युद्ध’ – सुमन राजे, ‘गहरे पानी पैठ’ – शिव बहादुर सिंह भदौरिया, ‘दस द्वारे का पींजरा’ – अनामिका तथा ‘दुःख ही जीवन की कथा रही’ – निराला की आत्मकथा आदि।

लेखक ने जहाँ पंतजलि योगदर्शन, भारतीय संस्कृति आदि पर गहन चिन्तन, मनन किया है। वहीं समकालीन साहित्य पर भी उसके विचार महत्वपूर्ण हैं। लेखक के अध्ययन का क्षेत्र अत्यंत व्यापक है। इस कृति में गोरखनाथ से लेकर समकालीन कविता के नवीनतम रचनाकारों तक को यथोचित महत्त्व दिया गया है। शुक्ल जी ने कविता, गीत, कहानी, उपन्यास, आत्मकथा,डायरी, साक्षात्कार,यात्रावृत्त, संस्मरण, पत्रकारिता, तथा शोध-समीक्षा आदि अनेक विधाओं की चर्चित और महत्वपूर्ण कृतियों का मूल्यांकन करते हुए यह प्रमाणित किया है कि प्राचीन और नवीन-प्रायः सभी विधाओं में उनकी गति और मति है।

मुझे यह देखकर विशेष सुख-संतोष का अनुभव हो रहा है कि शुक्ल जी की समीक्षा दलीय प्रतिबद्धता से मुक्त है। जिस निष्ठा से उन्होंने विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ का पुनर्मूल्यांकन किया है, उसी उदारता से शांति सुमन, रंजना जायसवाल, उद्भ्रान्त, उपेन्द्र कुमार, राम स्वरूप ‘सिन्दूर’, विजय किशोर ‘मानव’, वीरेन्द्र सारंग, अवधबिहारी श्रीवास्तव, नीरजा माधव, सुभाष राय या भगवंत अनमोल का भी। समीक्षक ने काव्य-शिल्प को लेकर भी कोई भेद-भाव नहीं रखा है।

निष्कर्ष यह है कि यह समीक्षा कृति बहुवस्तुस्पर्शिनी है। यह लेखक के प्रशस्त स्वाध्याय और चिन्तन-अनुचिन्तन का प्रमाण है। समीक्षा की भाषा विषयानुकूल है, उसमें न तो पण्डिताऊपन दिखाई पड़ा है, और न ही अखबारीपन। इसमें संकलित अधिकांश समीक्षाएँ सपुठित और सुविचारित हैं।

 – प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित

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Binding

Hardbound

Pulisher

Pages

Publishing Year

2019

Language

Hindi

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