Upanyas Ki Sanrachana

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Upanyas Ki Sanrachana

Upanyas Ki Sanrachana

995.00 855.00

In stock

995.00 855.00

Author: Gopal Ray

Availability: 7 in stock

Pages: 490

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9788126710867

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

उपन्यास की संरचना
उपन्यास एक अमूर्त रचना-वस्तु है। ‘वस्तु’ है तो उसका ‘रूप’ भी होगा ही। ‘रूप’ का एक पक्ष वह है, जिसे उपन्यासकार निर्मित करता है। उसका दूसरा पक्ष वह है जिसे पाठक अपनी चेतना में निर्मित करता है। पर उपन्यास का ‘रूप’ चाहे जितना भी अमूर्त और ‘पाठ-सापेक्ष’ हो, वह होता जरूर है। उसकी संरचना को समझना आलोचक के लिए चुनौती है, पर वह सर्वथा पकड़ के बाहर है, ऐसा नहीं कहा जा सकता। अंग्रेजी और यूरोप की अन्य भाषाओं में इसके प्रयास हुए हैं और इस विषय पर अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं। पर उन आलोचकों ने स्वभावतः अपनी भाषाओं के उपन्यासों को ही अपने विवेचन का आधार बनाया है।

यहाँ तक कि भारतीय साहित्य में उपलब्ध कथा-रूपों की और भी उनकी दृष्टि नहीं गई है। हिंदी आलोचना भी उपन्यास की और विगत कुछ दशकों से ही उन्मुख हुई है। पर आलोचकों की दृष्टि जितनी उसके कथ्य पर रही है, उतनी उसकी संरचना पर नहीं। उपन्यास किस प्रकार ‘बनता’ है, पाठक की चेतना मेन वह कैसे ‘रूप’ ग्रहण करता है, इस किताब में इसी की तलाश लेखक का उद्देश्य है। आरंभिक डॉ परिच्छेदों में औपन्यासिक संरचना का सैद्धांतिक विवेचन करने के बाद परवर्ती आठ परिच्छेदों में लगभग दो दर्जन हिंदी उपन्यासों की संरचना का सविस्तार विवेचन किया गया है। विवेच्य रचनाओं के चयन में ध्यान इस बात का रखा गया है कि वे किसी संरचना विशेष का प्रतिनिधित्व करती हों। हिंदी में उपन्यास की संरचना के विवेचन का यह पहला गंभीर प्रयास है। पर यह कितना सफल है, इसका निर्णय तो पाठक ही करेंगे।

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Hardbound

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Publishing Year

2020

Pulisher

Language

Hindi

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