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Description
उपन्याकार का सफरनामा
‘‘शम्सुर्रहमान फारूकी इस समय न सिर्फ उर्दू बल्कि समूचे भारतीय साहित्य में एक बड़ी और आकर्षक हस्ती हैं। उनमें गहरी विद्वत्ता और अथक सृजनशीलता का जो संयोग है वह अनोखा है। अपनी पारम्परिक बहुलता, जो कई बार आधुनिकता की झोंक में इकहरी देखी-समझी जाने लगती है, इस चिन्तक-लेखक के यहाँ जीवन्त गतिशीलता में प्रगट होती है। उनके संवाद से हमारी स्थिति के, हमारी सांस्कृतिक धरोहर के ऐसे कई पहलू सामने आते हैं जिन्हें हम भूल गये हैं। किसी उर्दू लेखक का हिन्दी में शायद यह सबसे लम्बा संवाद है।
रज़ा पुस्तक माला में इस अनूठी और कई सिम्तों को रोशन करती बातचीत को पुस्तकाकार प्रस्तुत करते हमें हर्ष है।’’
– अशोक वाजपेयी
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
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