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Description
उठाईगीर
उठाईगीर (उचल्या) एक आत्मकथा है, जो पददलित समाज के एक सदस्य के रूप में उनके अनुभवों पर आधारित है। इसमें सामाजिक असमानता पर पैना व्यंग्य और स्पष्ट स्वीकारोक्ति दोनों मुखर हैं। इस कृति के लिए आप तीन अन्य मराठी साहित्यिक पुरस्कारों-पानघंटी पुरस्कार, मुकादम पुरस्कार और समता पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। “उचल्या” का शाब्दिक अर्थ है उठाईगीर या उचक्का। यह शोषितों की घिसी-पिटी गाथा से अलग एक आत्मकथात्मक वृत्तांत है जो समाज के छोटे-मोटे अपराधों पर पल रहे एक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है। बगैर आत्मदया या किसी किस्म की आत्ममुग्धता के यह अनगढ़ सच्चाई की ताज़गी का अहसास कराता है। यह एक मनुष्य और उसके समाज की कथा है जो अकृत्रिम शैली में बयान की गई है। एक बेबाक और सशक्त साहित्यिक कृति होने के साथ-साथ महत्त्वपूर्ण समाज-वैज्ञानिक दस्तावेज़ भी हो गई है। अपनी दो टूक शैली और अकृत्रिम परिवेश के नाते प्रस्तुत कृति को मराठी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए साहित्य अकादेमी के वर्ष 1988 के पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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