Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Gautam Buddh Nagar
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Description
उत्तरप्रदेश का स्वतंत्रता संग्राम : गौतम बुद्ध नगर
आज जब हम चारों ओर नजरें दौड़ाते हैं तो एक अजीब विडम्बना से साक्षात्कार होता है। हम सब एक ऐसी विदेशी सभ्यता के लिए जिम्मेदारी महसूस करते हैं, जिसने आजादी से पहले के लगभग दो सौ वर्षों में हमारी संस्कृति की लय को बुरी तरह से विकृत कर दिया था।
अंग्रेज विद्वानों ने हमारे शास्त्रों और पुराणों का विश्लेषण किया तो हम शायद अतिरिक्त चौकन्ने होकर ऐसी परम्परा के प्रति सजग हुए, जिसे आज तक हम बिना परिभाषित किये सहज भाव से अपने जीवन में अपनाते रहे थे। शास्त्रों और पुराणों में हमारी जिन्दगी थी। इस तरह के इतिहास के दखल होने से पहले, इस तरह की सामाजिक व्याख्या से पहले भी हमारा अपनी संस्कृति के साथ एक सहज और स्पष्ट लगाव था। वह परिभाषित नहीं था, उसे परिभाषित होने की जरूरत भी नहीं थी, क्योंकि वह हमारी धड़कनों में था। एक भारतीय कभी अपनी संस्कृति को बाहर से नहीं देखता। संस्कृति तो उसके अंदर बसी होती है। अतिरिक्त सजगता तभी उत्पन्न होती है, जब मनुष्य का अपने अतीत और परम्परा से अलगाव हो जाता है। एक भारतीय की परम्परा कहीं बाहर नहीं, उसके भीतर रहती है, इसलिए सजग रूप से उससे स्वयं को जोड़ने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। इसलिए यह पुस्तक गौतम बुद्ध नगर की परम्परा, संस्कृति, स्वाभिमान, सभ्यता और आजादी पर जब कुछ बातों को आपके सामने लाती है तो एक पाठक होने के नाते आप एक सहज लगाव, एक सहज भारतीय बोध स्वाभाविक रूप से महसूस करते हैं। साथ ही, गौतम बुद्ध नगर के स्वाभिमान भरे इतिहास को पढ़ते हुए आपको गर्व का अनुभव होगा। समय की धारा में ठहरे हुए संकेत और सूत्र इस पुस्तक में स्वाभिमान की एक नई कहानी कह रहे हैं।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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