Vah Jo Yatharth Tha

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Vah Jo Yatharth Tha

Vah Jo Yatharth Tha

250.00 210.00

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Author: Akhilesh Tatbhav

Availability: 5 in stock

Pages: 126

Year: 2015

Binding: Hardbound

ISBN: 9788171196630

Language: Hindi

Publisher: Rajkamal Prakashan

Description

वह जो यथार्थ था
‘वह जो यथार्थ था’ सृजनात्मकता का ऐसा प्राकृतिक प्रस्फुटन है जो लेखकीय अनुभव के विधागत विभाजनों से परे पहुँच जाने पर घटित होता है, और न सिर्फ पाठक के साहित्यिक अभ्यास को बल्कि लेखक की अपनी इयत्ता को भी बदल देता है। ऐसी रचना-यात्रा का परिणाम सिर्फ एक नई पुस्तक नहीं, एक नई विधा, एक नए लेखक और एक नए हम के रूप में प्रकट होता है। ‘वह जो यथार्थ था’ के प्रकाशन के समय लगभग ऐसी ही प्रतिक्रिया पाठकों की ओर से आई थी, फिर अन्य कई लेखकों ने भी अपने अब तक विधा-च्युत पड़े अनुभवों को अंकित करने के लिए लेखनी उठाई, और कई अच्छी रचनाओं का इजाफा हिंदी में हुआ। कहानीकार, उपन्यासकार और संपादक के रूप में अपने सरोकारों, दृष्टिकोण, भाषा और पठनीयता के लिए सर्व-स्वीकृत अखिलेश ने इस पुस्तक में अपने बचपन के कस्बे के जरिए वास्तविकता, रहस्य, स्मृति, विचार और कल्पना का ऐसा जादू उपस्थित किया है कि सब कुछ एक नए अर्थ में आलोकित हो उठता है।

अपनी इस कथित गैर-कथात्मक रचना के आधारभूत रसायन में उन्होंने विभिन्न तत्त्वों का प्रयोग इस बारीकी से किया है कि यह कृति उपन्यास, कहानी, संस्मरण, आत्मकथा और यहाँ तक कि सामाजिक अध्ययन और आलोचना भी एक साथ हो जाती है लगभग तीन दशक पहले का वह क़स्बा जो लेखक के जीवन का हिस्सा था, उसकी स्मृति का हिस्सा होकर एक दूसरा क़स्बा हो जाता है और रचना में उतरते वक्त वृहत्तर भारतीय समाज में हो रहे आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक और राजनीतिक बदलावों का आईना बन जाता है। यह कहना गलत नहीं होगा कि ऐसी रचनाएँ किसी भाषा में कभी-कभार ही संभव हो पाती है।

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Hardbound

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Publishing Year

2015

Pulisher

Language

Hindi

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