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Description
वंचना
स्त्री के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून हैं, लेकिन उन कानूनों के रहते हुए भी स्त्रियों के लिए समाज में समानता, सुरक्षा और सम्मान से जीना दुश्वार है। यह उपन्यास न्यायिक विफलताओं, क़ानूनी पेचीदगियों और सामाजिक पारिवारिक विडम्बनाओं को बहुत स्पष्टता से हमारे सामने लाता है।
Quote : “भगवानदास मोरवाल के लेखन से मैं तब से परिचित हूँ जब वे 1992 में ढहाए गए विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के उपरान्त अपना पहला उपन्यास ‘काला पहाड़’ लिख रहे थे। यह महज़ एक संयोग नहीं कि उनके सभी उपन्यासों की केन्द्रीय चिन्ता स्त्री है। ‘वंचना’ उपन्यास हमारे वर्तमान समय का वह आख्यान है जिसमें पीछे लाशें हैं और आगे अँधेरा।
उपन्यास पढ़ते हुए समझ में आता है कि भले ही वर्तमान भारतीय समाज का राजनीतिक नारा है ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, मगर सामाजिक-सांस्कृतिक आकांक्षा है ‘आदर्श बहू’।”
– अरविंद जैन
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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