Varchasva

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Author: Rajesh Pandey

Availability: 10 in stock

Pages: 296

Year: 2024

Binding: Paperback

ISBN: 9788119989461

Language: Hindi

Publisher: Radhakrishna Prakashan

Description

वर्चस्व

नब्बे के ही दशक में जब राजनेताओं के दिन-दहाड़े सरेआम मर्डर होने लगे तो ज़ाहिर है कि नेताओं के मन में ख़ौफ़ बैठ जाना ही था और नई पीढ़ी के वह लोग, जो देश के लिए राजनीति के सहारे कुछ करने की वाक़ई चाह रखते थे, उन्होंने इस राह पर चलने के अपने इरादों पर लगाम लगा दी। राजनीति को अपराधियों, हत्यारों, डकैतों और बलात्कारियों के हाथों में जाने देने का यह यथार्थ बड़ा भयावह था।

बस, यही वह समय था जब बड़े-बड़े ख़ूँख़्वार अपराधियों के लिए राजनीति के प्रवेश द्वार पर स्वागत के लिए फूल मालाएँ लेकर ख़ुशी-ख़ुशी लोग नज़र आने लगे। राजनीति के अपराधीकरण या अपराध के राजनीतिकरण की यह शुरुआत धमाकेदार थी, उसमें ग्लैमर था, धन-दौलत थी और आधुनिक हथियारों को निहारने का मज़ा भी और जलवा अलग से। इन सियासी माफ़ियाओं की गाड़ियों का क़ाफ़िला जिधर से गुज़र जाता, सड़कें अपने आप ख़ाली हो जाया करती थीं।

उन्हीं दिनों की पैदावार एक ऐसा अपराधी श्रीप्रकाश शुक्ला था जिसके आतंक ने यूपी और बिहार में सबकी नींदें उड़ा दी थीं। उसे किसी का भय नहीं था। आँखों में किसी तरह की मुरौवत नहीं थी। वह ऐसा बेदर्द इनसान था जिसने गोरखपुर में केबल के धंधे में पैर ज़माने के लिए एक हफ़्ते में ही एक-एक कर दर्जन भर लोगों को मार डाला था।

श्रीप्रकाश शुक्ला जैसे दुर्दान्त अपराधी को यूपी पुलिस की एसटीएफ़ ने दिल्ली से सटे ग़ाज़ियाबाद में मार गिराया।…इसी इनकाउंटर के इर्द-गिर्द घूम रही है इस किताब की पूरी स्क्रिप्ट… श्रीप्रकाश शुक्ला के इनकाउंटर की पूरी कहानी इसमें मौजूद है। यह किताब इस बेहद चर्चित मुठभेड़ की पूरी दास्तान बयान करती है।

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Paperback

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Hindi

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Publishing Year

2024

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