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Description
उन पंद्रह दिनों के प्रत्येक चरित्र का, प्रत्येक पात्र का भविष्य भिन्न था। उन पंद्रह दिनों ने हमें बहुत कुछ सिखाया।
माउंटबेटन के कहने पर स्वतंत्र भारत में यूनियन जैक फहराने के लिए तैयार नेहरू हमने देखे। लाहौर अगर मर रहा है, तो आप भी उसके साथ मौत का सामना करो। ऐसा जब गांधीजी लाहौर में कह रहे थे, तब राजा दाहिर की प्रेरणा जगाकर, हिम्मत के साथ, संगठित होकर जीने का सूत्र उनसे मात्र 800 मील की दूरी पर, उसी दिन, उसी समय, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख श्रीगुरुजी हैदराबाद (सिंध) में बता रहे थे।
कांग्रेस अध्यक्ष की पत्नी सुचेता कृपलानी कराची में सिंधी महिलाओं को बता रही थी कि ‘आपके मैकअप के कारण, लो कट ब्लाउज के कारण मुसलिम गुंडे आपको छेड़ते हैं। तब कराची में ही राष्ट्र सेविका समिति की मौसीजी हिंदू महिलाओं को संस्कारित रहकर बलशाली, सामर्थ्यशाली बनने का सूत्र बता रही थीं। जहाँ कांग्रेस के हिंदू कार्यकर्ता, पंजाब, सिंध छोड़कर हिंदुस्थान भागने में लगे थे और मुसलिम कार्यकर्ता मुसलिम लीग के साथ मिल गए थे, वहीं संघ के स्वयंसेवक डटकर, जान की बाजी लगाकर, हिंदू सिखों की रक्षा कर रहे थे। उन्हें सुरक्षित हिंदुस्थान में पहुँचाने का प्रयास कर रहे थे।
फर्क था, बहुत फर्क था-कार्यशैली में, सोच में, विचारों में सभी में। स्वतंत्रता प्राप्ति 15 अगस्त, 1947 से पहले के पंद्रह दिनों के घटनाक्रम और अनजाने तथ्यों से परिचित करानेवाली पठनीय पुस्तक।
अनुक्रम | ||||||
प्रस्तावना | 7 | |||||
मन की बात | 11 | |||||
पहला : 1 अगस्त, 1947 | 19 | |||||
दूसरा : 2 अगस्त, 1947 | 26 | |||||
तीसरा : 3 अगस्त, 1947 | 34 | |||||
चौथा : 4 अगस्त, 1947 | 43 | |||||
पाँचवाँ : 5 अगस्त, 1947 | 54 | |||||
छठा : 6 अगस्त, 1947 | 64 | |||||
सातवाँ : 7 अगस्त, 1947 | 76 | |||||
आठवाँ : 8 अगस्त, 1947 | 88 | |||||
नौवाँ : 9 अगस्त, 1947 | 100 | |||||
दसवाँ : 10 अगस्त, 1947 | 110 | |||||
ग्यारहवाँ : 11 अगस्त, 1947 | 121 | |||||
बारहवाँ : 12 अगस्त, 1947 | 132 | |||||
तेरहवाँ : 13 अगस्त, 1947 | 142 | |||||
चौदहवाँ : 14 अगस्त, 1947 | 154 | |||||
पंद्रहवाँ : 15 अगस्त, 1947 | 164 | |||||
समापन | 178 | |||||
संदर्भ | 181 |
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2019 |
Pulisher |
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