Ved Shastra Sangrah

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Ved Shastra Sangrah

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Author: Prabhudayal Agnihotri

Availability: 5 in stock

Pages: 414

Year: 2008

Binding: Paperback

ISBN: 9788126052257

Language: Sanskrit & Hindi

Publisher: Sahitya Academy

Description

वेद शास्त्र संग्रह

पं. जवाहरलाल नेहरू का कथन है – “संस्कृत भाषा और साहित्य भाषा की सर्वोत्त्म विरासत है। यह शानदार विरासत है और जब तक यह कायम रहेगी और हमारे लोगों के जीवन को प्रभावित करती रहेगी, तब तक भारत की मौलिक प्रतिभा जीवंत बनी रहेगी।” कोई दो सौ वर्ष पहले विलियम जोंस ने उद्घोषित किया था कि “संस्कृत ग्रीक की अपेक्षा अधिक पूर्ण, लैटिन की अपेक्षा कहीं अधिक विशाल और प्रत्येक से अधिक उन्कृष्ट, परिष्कृत और सुंदर है।” यह अतीत के युगों से भारतीय जनों को उनके द्वारा कल्पित और अनुसृत असंख्य विचारों चिंतनों और उच्चतम आदर्शों की अभिव्यक्ति के लिए समृद्ध माध्यम ही नहीं देती आई, अपितु इसने भारत की सीमा के बाहर भी हज़ारों मीलों की दूरी तक फैले हुए चारों दिशाओं के क्षेत्र में लाखों-लाखों जनों को भीतर गहराई तक प्रभावित किया है। और उनके जीवन के विविध सांस्कृतिक पक्षों को नए रूप में ढाला भी है।

संस्कृत भारतीय सभ्यता और संस्कृति का यथार्थ दर्पण है। अनेक सृजनात्मक युगों से होकर गुजरने वाली भारत की प्रगतिशील यात्रा में इसने भारत के विचारों और भावनाओं को वाणी देनेवाले विपुल साहित्य के लिए भंडार गृह का काम किया है। प्रचुरता की दृष्टि से संस्कृत वाङ्मय धर्म, दर्शन, विधि-शास्त्र, भाषा-विज्ञान, सौंदर्य-शास्त्र, ललित कलाओं, निश्चयात्मक सैद्धांतिक और तकनीकी विज्ञानों, सुभाषित (सूक्ति) और उपदेशात्मक (नीतिपरक) पद्यों और ललित साहित्य में बहुत समृद्ध है।

प्रस्तुत ग्रंथ वेद शास्त्र संग्रह में इस बात का प्रयत्न किया गया है कि इसमें वेदों और शास्त्रों की परिधि के अंतर्गत आनेवाले संस्कृत वाङ्मय के सारे प्रमुख अंगों का समावेश हो जाए। इसका पद्य खंड प्रथम है, जिसमें ऋग्वेद के 84 सूत्र हैं, जो पाँच वर्गों में विभक्त हैं –

(1) दैवत स्तोत्र

(2) जीवन-व्यवहार

(3) इतिहास

(4) आख्यान

(5) रहस्यवाद; अथर्ववेद के 40 सूक्‍त और यजुर्वेद के 6 पूर्ण अध्याय और प्रकीर्ण मंत्र, जो सब माध्यंदिन शाखा के हैं।

फिर आठ उपनिषदों का एक या अधिक अंश, भगवद्‌गीता के प्रथम और द्वितीय अध्याय। द्वितीय खंड में गद्य भाग है। इसमें –

(1) पाँच वैदिक संहिताओं

(2) पाँच ब्राह्मणों

(3) दो आरण्यकों

(4) ग्यारह उपनिषदों

(5) पाँच वेदांग ग्रंथों

(6) चार उपदेश ग्रंथों

(7) तीन स्मृति और धर्मशास्त्र की मूल पुस्तकों

(8) चार मूल अलंकार ग्रंथों

(9) बीस दर्शन विषयक पुस्तकों के चुने हुए अंशों में कुल 74 मूल पुस्तकों से सामग्री ली गई है।

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Binding

Paperback

ISBN

Language

Sanskrit & Hindi

Pages

Publishing Year

2008

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