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Description
वेदान्त
प्राक्कथन
लोगों की प्राय: धारणा यह होती है कि वेदान्त कोई ऐसा जटिल अथवा रहस्यपूर्ण विषय है जो साधारण मानवी बुद्धि से अगम्य है और जिसका हमारे प्रत्यक्ष जीवन से कोई संबंध नहीं, परन्तु स्वामीजी ने अपने इन अधिकारपूर्ण भाषणों द्वारा दर्शा दिया है कि यह धारणा नितान्त भ्रमपूर्ण है। वेदान्त के स्वरूप को स्पष्ट करने वाले गूढ़ सिद्धान्तों को सरल एवं सुग्राह्य रूप में हमारे सम्मुख प्रस्तुत कर स्वामीजी ने यह दिखा दिया है कि इनके द्वारा हमें किसी प्रकार ऊपर उठने की प्रेरणा मिल सकती है तथा इन्हीं के सहारे हम अपने जीवन को किस प्रकार उच्चतम आदर्श के साँचे में ढाल सकते हैं।
मानवी संस्कृति एवं सभ्यता पर वेदान्त का कितना गहरा और दूरगामी प्रभाव पड़ता रहा है, इसके विवेचन के द्वारा इन भाषणों में स्वामीजी ने यह भी भलीभाँति दर्शाया है कि व्यक्तिगतहित तथा समष्टिगत हित दोनों के लिए वेदान्त कितना उपयोगी है। इन भाषणों से हमें यह भी ज्ञात होता है कि वेदान्त द्वारा प्रतिपादित सत्य-सिद्धान्त एकांगी नहीं वरन् सार्वजनीन हैं और साथ ही वे शाश्वत स्वरूप के हैं। फलत: वे सभी व्यक्तियों को, वे किसी भी जाति, सम्प्रदाय अथवा राष्ट्र के और किसी भी युग में रहने वाले क्यों न हों, आदर्श जीवन-निर्माण में अपूर्व सहायता प्रदान करते हैं।
अद्वैत आश्रम, मायावती द्वारा प्रकाशित ‘विवेकानन्द साहित्य’ से इन व्याख्यानों तथा प्रवचनों को संकलित किया गया है।
प्रस्तुत पुस्तक पाठकों के सम्मुख रखते हमें प्रसन्नता हो रही है और हमारा विश्वास है कि इसके पठन-पाठन से उनका विशेष हित होगा।
अनुक्रम
★ वेदान्त दर्शन
★ सर्वांग वेदान्त
★ सभ्यता का अवयव वेदान्त
★ वेदान्त का स्वरूप तथा प्रभाव
★ वेदान्त और विशेषाधिकार
★ विशेषाधिका
★ वेदान्त दर्शन और ईसाई मत
★ क्या वेदान्त भावी युग का धर्म होगा ?
★ वेदान्त का सारतत्त्व
★ वेदों और उपनिषदों के विषय में विचार
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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