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Description
वीर सिपाही (Ivanheo)
1
यह पुराने जमाने के इंग्लैंड की कहानी है। डोन नदी के किनारे काफी बड़ा जंगल था। यह जंगल शेफील्ड और डोनकास्टर शहरों के बीच के बड़े भारी भाग में फैला हुआ था।
जंगलों का जो हिस्सा बस्ती से कुछ ही दूर पड़ता था वहाँ लोगों की ज़मीदारियाँ थीं, खेत-खलिहान और बड़े-बड़े चारागाह थे। ये अमीर और ज़मीदार अपने को किसी बादशाह से कम नहीं समझते थे। वह आन और शान पर मर मिटने का ज़माना था। ज़रा-ज़रा सी बात पर तलवारें खिंच जाती थीं लोग मरने-मारने पर उतारू हो जाते थे।
जब की यह कहानी है, पूरे यूरोप में अव्यवस्था थी। उधर जेरूसलम में यहूदियों के खिलाफ ईसाइयों ने धर्मयुद्ध छेड़ रखा था। इंग्लैंड और यूरोप के राजाओं ने अपने बहादुर सैनिकों को यहूदियों के खिलाफ लड़ने के लिए भेज रखा था।
यहूदियों के बुरे दिन थे। ईसाइयों के अत्याचार से उनका जीना दूभर था। मौका पाकर रातों-रात वे घरबार छोड़कर निकलते और ऐसे ही जंगलों में शरण लेते थे। करीब हज़ार साल पहले इंग्लैंड की यही हालत थी। वहाँ नारमन और सैक्सन जातियों में बड़े-बड़े युद्ध हो चुके थे। अब शासन नारमन लोगों के हाथ में था। लेकिन सैक्सन जाति के लोग अब भी अपने को छोटा मानने के लिए तैयार नहीं थे।
एक झरने के पास दो आदमी बैठे हुए बातें कर रहे थे। उनकी भेड़ें पास चर रही थीं। उन दोनों आदमियों में से एक उन भेड़ों का चरवाहा मालूम पड़ता था। उसकी उम्र कुछ ज्यादा थी। उसने अंगरखे पर चमड़े की बंडी पहन रखी थी। उसका चुस्त पायजामा भी चमड़े का ही मालूम होता था। पैरों में उसने अजीब तरह के जूते पहन रखे थे। इन जूतों के तल्ले लकड़ी के बने थे और ऊपर चमड़े की पट्टियाँ बंधी थीं, जिन्हें उसने अपने टखने और पिंडली तक लपेट रखा था। कमर में उसने पेटी बाँध रखी थी, जिसमें कृपाण जैसी एक छोटी तलवार बंधी थी। दूसरी ओर सिंगा लटका रखा था, जिसे बजाकर वह भेड़ों को बुलाता था। उस ज़माने में युद्ध के समय भी सिंगा बजाए जाते थे। इस आदमी के गले में एक लोहे की ज़ंजीर पड़ी हुई थी। ज़ंजीर इतनी तंग थी कि बिना काटे गले से निकल नहीं सकती थी। इस ज़ंजीर के बीच में पीतल का एक बिल्ला लटका हुआ था, जिस पर लिखा था-‘गर्थ, बिवल्फ का लड़का और रोदरवुड के अमीर सरदार सेड्रिक का गुलाम।’
गर्थ के पास जो दूसरा आदमी बैठा था। वह कुछ कम उम्र का और जवान मालूम पड़ता था। उसने बड़ी अजीब-सी पोशाक पहन रखी थी। उसे देखकर हंसी आती थी। उसने गंदले रंग का अंगरखा पहना था और उसके ऊपर गहरे लाल रंग की एक बंडी चढ़ा रखी थी। गर्थ की तरह ही उसके गले में भी एक ज़ंजीर पड़ी थी, लेकिन वह चांदी की मालूम होती थी। उसमें जो बिल्ला लटक रहा था, उस पर लिखा था-‘‘वाम्बा, बिटलेस नामक एक बेवकूफ का लड़का और रोदरवुड के अमीर सरदार सेड्रिक का नौकर।’’
थोड़ी देर बाद गर्थ ने कुछ चिंतित होकर चारों ओर देखा और कहा, ‘‘अरे, शाम हो गई ! अंधेरा होने वाला है। अब जल्दी से जल्दी घर लौट चलना चाहिए। वरना, इस जंगल में किसी का क्या ठिकाना ! कहीं डाकू या भगोड़े सिपाही आ निकले तो मेरी सारी भेडों को हांक ले जाएंगे। मालिक मेरी जान ले लेगा। वाम्बा, ज़रा तुम उठकर मेरी इन भेड़ों को और इधर कुछ सुअर चर रहे हैं, उनको भी इकट्ठे तो कर दो।’’
लेकिन वाम्बा अपनी जगह ही बैठा रहा। अपने पैरों की ओर देखकर उसने कहा, ‘‘हाँ तुम ठीक कहते हो। चाचा, मैंने अभी अपने दोनों पैरों को उठने का हुक्म दिया। लेकिन इन्होंने साफ इन्कार कर दिया कि इस कीचड़-कादों में वे मेरे शरीर को नहीं ले जाएंगे। अब तुम्हीं कहो, क्या किया जाए ?’’
‘‘अरे, ज़रा भेड़ों को हांक लाओ न ! बहाना क्यों बना रहे हो ?’’ गर्थ बोला। लेकिन तभी दूर कुछ घोड़ों की टाप सुनाई दी। ऐसा लगा जैसे बहुत-से घुड़सवार दौड़े आ रहे हैं।
गर्थ एकदम घबरा उठा और बोला, ‘‘लो, आई मुसीबत ! कोई इधर ही आ रहा है।’’ यह कहकर वह अपने जानवरों को इकट्ठा करने लगा। आसमान में अब बादल भी घने होते जा रहे थे। गर्थ चाहता था कि पानी आने से पहले ही घर लौट जाए।
वाम्बा ने हंसकर कहा, ‘‘इस तरह घबराते क्यों हो, चाचा ? हाँ, कुछ घुड़सवार इधर ही आ रहे हैं। लेकिन क्या पता कि ये कौन लोग हैं। हो सकता है देवदूत हों।
गर्थ बोला, ‘‘मज़ाक रहने दो, न मालूम ये लोग कौन हैं और फिर पानी भी आने वाला है। देखते नहीं हो, बादल घने होते जा रहे हैं ? मैं तो अब चलता हूँ।’’ यह कहकर गर्थ अपने जानवरों को हांकता हुआ चल पड़ा।
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Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2020 |
Pulisher |
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