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Vigyan Bhairav (Bhairav-Bhairavee Samvaad)
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Description
विज्ञान भैरव
- यह ग्रन्थ केवल किसी एक व्यक्ति के कथन पर आधारित नहीं बल्कि एक ऐसा महासमुद्र है जो संसार की सभी नदियों और कूपों को जल प्रदान कर सकता है।
- यह किसी एक ग्रन्थ, मत या व्यक्ति को प्रमाण नहीं मानता बल्कि सत्य पर आधारित है, जहाँ भी सत्य प्रकट हुआ उसे स्वीकार करता है।
- यह पारस ग्रन्थ भारतीय अध्यात्म विद्या का एक ऐसा खजाना है कि इसमें से जितना भी निकालो तो भी कोई कमी नहीं आती।
- उस परमतत्त्व को समझने के लिए यह एक अनुपाय (स्वयं बोध) की प्रक्रिया है जिसमें किसी क्रिया की आवश्यकता नहीं है। केवल चित्त की एकाग्रता ही पर्याप्त है। इसी ज्ञान को इस ग्रन्थ में भैरव-भैरवी सम्वाद के रूप में दिखलाया गया है।
- उस चैतन्यतत्त्व को जानने की एक ही विधि है-इस चंचल मन को स्थिर करना। मन के स्थिर होते ही साधक को अपने आत्मस्वरूप का अनुभव हो जाता है।
- सहज समाधि या अनुपाय प्रक्रिया का संक्षिप्त अर्थ यह है कि मन की स्वाभाविक प्रवृत्तियों पर बिना जोर जबरदस्ती के सहजरूप में नियन्त्रण।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
Language | Hindi |
ISBN | |
Pages | |
Publishing Year | 2015 |
Pulisher |
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