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Description
विश्वकर्मप्रकाश वास्तुशास्त्रम्
प्रस्तुत ग्रन्थ के सम्बन्ध में – इस ग्रन्थ का नाम ‘विश्वकर्मप्रकाश’ है। ग्रन्थ के अन्त में दी गयी परम्परा के अनुसार वास्तुशास्त्र का उपदेश गर्ग ने पराशर को पराशर ने बृहद्रथ को तथा बृहद्रथ ने विश्वकर्मा को दिया था। विश्वकर्मा से यह वासुदेव श्रीकृष्ण तथा उनसे श्रीअनिरुद्ध को प्राप्त हुआ –
‘इति प्रोक्तं वास्तुशास्त्रं पूर्वं गर्गाय धीमते।
गर्गात्पराशरः प्राप्तः तस्मात्प्राप्तो बृहद्रथः।।
बृहद्रथात् विश्वकर्मा प्राप्तवान् वास्तुशास्त्रकम्।
स विश्वकर्मा जगतीहिताय कथयत् पुनः।।
वासुदेवादिषु पुनर्भूलोके भक्तितोऽब्रवीत्।
इस ग्रन्थ में चौदह अध्यायों में वास्तुशास्त्र का सर्वांगीण वर्णन है। ग्रन्थ के मूल पाठ को सम्पादित तथा यथासम्भव शुद्ध करके उसकी सरल हिन्दी व्याख्या की गयी है। आवश्यक स्थलों पर रेखाचित्र, चक्र तथा सारिणियाँ देकर विषय को यथासम्भव सरल तथा बोधगम्य बनाने की चेष्टा की गयी है। इस प्रकार यह संस्करण ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्र के विद्यार्थियों, स्थपतियों तथा वास्तुविदों के लिये अतीव उपयोगी सिद्ध होगा, ऐसी अपेक्षा है।
Additional information
Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Sanskrit & Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2017 |
Pulisher |
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