Vyangya Ek Nai Drishti

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Vyangya Ek Nai Drishti

Vyangya Ek Nai Drishti

450.00 385.00

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450.00 385.00

Author: Suresh Kant

Availability: 4 in stock

Pages: 192

Year: 2020

Binding: Hardbound

ISBN: 9789389220865

Language: Hindi

Publisher: Aman Prakashan

Description

व्यंग्य एक नई दृष्टि

16 जून 1956 को गाँव करौदा हाथी, जिला मुजफ्फरनगर (अब शामली), उत्तर प्रदेश में जन्मे सुरेश कांत मौजूदा दौर के सबसे प्रखर व्यंग्य-लेखक और चिंतक हैं। अपनी पहली ही औपन्यासिक व्यंग्य-कृति ‘ब से बैंक’ द्वारा उन्होंने हिंदी-व्यंग्य-जगत में हलचल मचा दी थी, जो 1978 में तब की सबसे लोकप्रिय पत्रिका ‘धर्मयुग’ में छपने के बाद से लगातार राजकमल प्रकाशन की बेस्टसेलर बनी हुई है। इसके बाद आए उनके बारह व्यंग्य-संकलन भी हिंदी-व्यंग्य को एक नई ऊँचाई पर ले गए हैं। पिछले दिनों प्रकाशित उनके नए व्यंग्य-उपन्यास ‘जॉब बची सो..’ को वर्तमान युग के सर्वाधिक लोकप्रिय. व्यंग्यकार-उपन्यासकार नरेन्द्र कोहली ने ‘अपनी तरह का पहला और अकेला’ उपन्यास बताया है, तो वरिष्ठतम व्यंग्यकार गोपाल चतुर्वेदी ने उसे ‘राग दरबारी’ के बाद अब तक का सर्वश्रेष्ठ व्यंग्य-उपन्यास घोषित किया है। पहले रिज़र्व बैंक और फिर स्टेट बैंक में शीर्ष कार्यपालक रहे सुरेश कांत ने ‘धम्म॑ शरणम’ जैसे पाँच उपन्यासों, ‘गिंद्ध’ जैसे तीन कहानी-संकलनों, ‘प्रतिशोध’ जैसे चार नाटकों, ‘कुट्टी’ और ‘रोटी कौन खाएगा’ जैसी दस बाल-साहित्य की पुस्तकों, ‘हिंदी गद्य लेखन में व्यंग्य और विचार’ जैसी चार आलोचना-पुस्तकों और ‘प्रबंधन के गुरुमंत्र’ जैसी छह पुस्तकों की प्रबंधन- श्रृंखला द्वारा भी हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध किया है।

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2020

Pulisher

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