Working Women’s Hostel Aur Anya Kavitayen

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Working Women’s Hostel Aur Anya Kavitayen

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299.00 229.00

In stock

299.00 229.00

Author: Anamika

Availability: 5 in stock

Pages: 120

Year: 2022

Binding: Paperback

ISBN: 9789355182494

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

वर्किंग विमेंस हॉस्टल और अन्य कविताएँ

अनामिका को जिन्होंने जाना, उन्हें मालूम है कि उनकी आत्मीय गर्माहट में पगी मुस्कान के पीछे समृद्ध बौद्धिक चेतना और सशक्त संस्कारवान भाषा है। उनकी टोकरी में दिगन्त है, उसे कोई सहज मुस्कुराती स्वप्निल आँखों वाली स्त्री की साधारण टोकरी न समझ ले। लोगों ने बेशक ऐसा समझा होगा। ‘स्त्रियाँ’ कविता में ही देखिए :

सुनो, हमें अनहद की तरह और समझो जैसे समझी जाती है नयी-नयी सीखी हुई भाषा ।

इतना सुनना था कि अधर में लटकती हुई एक अदृश्य टहनी से टिड्डियाँ उड़ीं और रंगीन अफवाहें चीख़ती हुई चीं-चीं दुश्चरित्र महिलाएँ, दुश्चरित्र महिलाएँ- किन्हीं सरपरस्तों के दम पर फूली फैलीं अगरधत्त जंगल लताएँ ! ”

स्त्री-विमर्श के दौर में एक प्रतिष्ठित स्त्री लेखिका की ऐसी टिप्पणी यथास्थिति की परतें उघाड़ देती है। और ‘अगरधत्त’ शब्द की व्यंजना समझ में भले न आये, अर्थ अभी देखना होगा। जाने कहाँ-कहाँ से समृद्ध करते शब्द हैं अनामिका के पास। उनकी मुस्कान की तरह रहस्यमय !

– अलका सरावगी

܀܀܀

अनामिका हिन्दी की ऐसी विरल कवयित्री हैं जिनका परम्परा- बोध जितना तीक्ष्ण है आधुनिकता-बोध भी उतना ही प्रखर। उनकी पूरी भाषिक चेतना जैसे स्मृति के रसायन से घुलकर बनती है और पीढ़ियों से नहीं, सदियों से चली आ रही परम्परा का वहन करती है। उनकी पूरी कहन में यह वहन इतना सहज-सम्भाव्य है कि उसे अलग से पकड़ने-पहचानने की ज़रूरत नहीं पड़ती, वह उनकी निर्मिति में नाभिनालबद्ध दिखाई पड़ता है। कहने की ज़रूरत नहीं कि उनका स्त्रीत्व सहज ढंग से इस परम्परा की पुनर्व्याख्या और पुनर्रचना भी करता रहता है- उनके जो बिम्ब कविता में हमें बहुत अछूते और नये लगते हैं, जीवन की एक धड़कती हुई विरासत का हिस्सा हैं, उसी में रचे-बसे, उसी से निकले हैं और वे ही

अनामिका को एक विलक्षण कवयित्री में बदलते हैं।

– प्रियदर्शन

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2022

Pulisher

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