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Description
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यार जुलाहे…
अनगिनत नज़्मों, कविताओं और गज़लों कि दुनिया है गुलज़ार के यहाँ। जो अपना सूफियाना रँग लिए हुए शायर का जीवन-दर्शन व्यक्त करती है इस पुस्तक में लेखक अभिव्यक्ति में जहां एक ओर हमे कवि के अन्तर्मन कि महीन बुनावट कि जानकारी मिलती है, वहीं दूसरी ओर सूफियाना रंग लिए हुए लगभग निर्गुण कवियों कि बोली-बानी के करीब पहुँचने वाली आवाज़ या कविता का स्थायी फक्कड़ स्वभाव हमें एकबारगी उदासी में तब्दील होता हुआ नज़र आता है।
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Authors | |
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Binding | Hardbound |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2014 |
Pulisher |
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