Yahan Hathi Rahte The – यहाँ हाथी रहते थे
Yahan Hathi Rahte The – यहाँ हाथी रहते थे
₹250.00 ₹190.00
₹250.00 ₹190.00
Author: Geetanjali Shree
Pages: 183
Year: 2022
Binding: Paperback
ISBN: 9789393768971
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
- Description
- Additional information
- Reviews (0)
Description
यहाँ हाथी रहते थे
कुछ ज्यादा ही तेजी से बदलते हमारे इस वक्त को बारीकी से देखती प्रख्यात कथाकार गीतांजलि श्री की ग्यारह कहानियाँ हैं यहाँ। नई उम्मीदें जगाता और नए रास्ते खोलता वक्त। हमारे अन्दर घुन की तरह घुस गया वक्त भी। सदा सुख-दुख, आनन्द-अवसाद, आशा-हताशा के बीच भटकते मानव को थोड़ा ज्यादा दयनीय, थोड़ा हास्यास्पद बनाता वक्त।
विरोधी मनोभावों और विचारों को परत-दर-परत उघाड़ती हैं ये कहानियाँ। इनकी विशेषता – कलात्मक उपलब्धि – है भाषा और शिल्प का विषयवस्तु के मुताबिक ढलते जाना। माध्यम, रूप और कथावस्तु एकरस-एकरूप हैं यहाँ। मसलन, ‘इति’ में मौत के वक्त की बदहवासी, ‘थकान’ में प्रेम के अवसान का अवसाद, ‘चकरघिन्नी’ में उन्माद की मनःस्थिति, या ‘मार्च माँ और साकुरा’ में निश्चल आनन्द के उत्सव के लिए इस्तेमाल की गई भाषा ही क्रमशः बदहवासी, अवसाद, उन्माद और उत्सव की भाषा हो जाती है।
पर अन्ततः ये दुख की कहानियाँ हैं। दुख बहुत, बार-बार और अनेक रूपों में आता हैं इनमें। ‘यहाँ हाथी रहते थे’ और ‘आजकल’ में साम्प्रदायिक हिंसा का दुख, ‘इतना आसमान’ में प्रकृति की तबाही और बिछोह का दुख, ‘बुलडोजर’ और ‘तितलियाँ’ में आसन्न असमय मौत का दुख, ‘थकान’ और ‘लौटती आहट’ में प्रेम के रिस जाने का दुख। एक और दुख, बड़ी शिद्दत से आता है ‘चकरघिन्नी’ में। नारी स्वातंत्र्य और नारी सशक्तीकरण के हमारे जैसे वक्त में भी आधुनिक नारी का निस्सहायता का दुख।
हमारी जिन्दगी की बदलती बहुरूपी असलियत तक बड़े आड़े-तिरछे रास्तों से पहुँचती हैं ये कहानियाँ। एक बिलकुल ही अलग, विशिष्ट और नवाचारी कथा-लेखन से रू-ब-रू कराते हुए हमें।
Additional information
Authors | |
---|---|
Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2022 |
Pulisher |
Reviews
There are no reviews yet.