Yahan Kaun Hai Tera

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Yahan Kaun Hai Tera

Yahan Kaun Hai Tera

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Author: Bhagwandas Morwal

Availability: 5 in stock

Pages: 512

Year: 2023

Binding: Paperback

ISBN: 9788119014682

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

यहाँ कौन है तेरा

यहाँ कौन है तेरा कथाकार भगवानदास मोरवाल की स्मृति-कथा पकी जेठ का गुलमोहर का अगला पड़ाव है। कहना चाहिए कि ये दोनों स्मृति-कथाएँ लेखक के जीवन और सृजन का एक अनसुना आलाप है। एक ऐसा आलाप जिसमें अतीत के कुछ ऐसे बेसुरे स्वर सुनाई देंगे, जिन्हें सुनते हुए आप अपने आपको एक वीरान बीहड़ में पायेंगे। एक ऐसा बीहड़ जिसमें जीवट, जिजीविषा और शब्दों का ऐसा संसार दिखाई देगा जिनका संगीत देर तक आपको अपने कानों में सुनाई देता रहेगा।

दूसरे शब्दों में कहें तो इनमें बहुस्तरीय आख्यानों के विविध रूप आपको नज़र आयेंगे। पकी जेठ का गुलमोहर में जहाँ समाज, परिवार, समुदाय और लेखक के प्रारम्भिक जीवन का मासूम मगर असहनीय खुरदरापन दिखाई देता है वहीं, यहाँ कौन है तेरा में उसकी लेखकीय यात्रा के दौरान उन साहित्यिक दुरभिसन्धियों से आपका सामना होगा, जिन्हें पढ़कर आप एक बेचैन विरक्ति से भर उठेंगे। एक तरह से लेखक के रचना-लोक की जय-पराजय का दस्तावेज है। यह स्मृति-कथा।

यह स्मृति-कथा कुलीन और आभिजात्य बौद्धिकता के उन स्याह रन्ध्रों में झाँकने का साहस भरा आख्यान भी है, जिनसे अक्सर हम बचने का प्रयास करते हैं। यह स्मृति-कथा एक ऐसा आईना है जिसमें लेखक दूसरों के साथ-साथ अपने भीतर की कमज़ोरियों पर भी ठहाका लगाता है। इसकी एक खूबी यह है कि आत्म-श्लाघाओं और आत्म-प्रवंचनाओं से इतर जिस आत्म-व्यंग्य लहजे में लेखक स्वयं को धिक्कारता है, वह लहजा बहुत कम नज़र आता है। स्मृति-कथाओं या आत्म-संस्मरणों में जिस प्रामाणिकता और विश्वसनीयता का अभाव दिखाई देता है, यहाँ कौन है तेरा में ये दोनों तत्त्व भरपूर दिखाई देंगे।

भगवानदास मोरवाल अपने पिछले तीन दशकों की ऊबड़-खाबड़ साहित्यिक यात्रा का जिस चुटीले और पैनेपन के साथ पूरी निर्ममता व तल्लीनता के साथ बखान करते हैं, उन्हें पढ़ते हुए जाने-अनजाने, सुने-अनसुने अनगिनत किस्से हमारी आँखों के सामने जीवन्त हो उठते हैं। वे बीच-बीच में अपनी रचना-प्रक्रिया और उनसे जुड़े जिन आज़ारों का ब्यौरा देते चलते हैं, वे इस स्मृति-कथा को एक नया आयाम प्रदान करते हैं। इनकी कथा कहानियों की तरह शब्दों का चुलबुलापन और भाषा का खिलंदड़ापन पूरे प्रवाह के साथ आपको यह स्मृति-कथा अपने साथ अन्त तक ले जायेगी।

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Authors

Binding

Paperback

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2023

Pulisher

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