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Description
यमदीप
हमारे समाज में घोर ‘अभिशप्त” माने जाने वाले ‘किन्नर’ समुदाय के अंतरंग जीवन की मार्मिक गाथा प्रस्तुत करने वाला यह उपन्यास अपने-आपमें एक अद्वितीय कृति है। यह उपन्यास लेखिका नीरजा माधव को एक ओर तो स्त्री-लेखन एवं दलित-लेखन की भीड़ से अलग करता है तो दूसरी ओर, नारी-अस्मिता और शोषित उपेक्षित वर्ग के उन अनछुए पहलुओं को भी सामने रखता है, जिनकी ओर आज तक कोई सजग लेखनी उन्मुख ही नहीं हुई। सांख्य दर्शन के अनुसार, सृष्टि के लिए प्रकृति और पुरुष का द्वैत कारक है। भौतिक जगत में भी स्त्री-पुरुष एक-दूसरे के अद्धश हैं। एक-दूसरे के अभाव में अपूर्णता का प्रत्यय आदिकाल से भारतीय संस्कृति एवं अध्यात्म का प्राण रहा है। यही द्वैत उदात्त मानवीय मूल्यों एवं संवेदनशील सम्बन्धों की स्थापना का आधार बनता है और सृष्टिचक्र का कारण भी।
जहां से यह द्वैत-स्त्री-पुरुष का यह द्वैत-समाप्त होता है, वहीं से शुरू होता है यह उपन्यास, जिसमें अपनी कच्छपी सीमा में भाषिक और दैहिक निजीपन को नितांत अकेले महसूस करते और कभी-कभी सिर निकालकर तालियां बजाते, ठनठन करते, जीवन को जी भर लेते उपेक्षित लोगों का एक वर्ग है, तो दूसरी ओर, पितृसत्ता से सह-अस्तित्व को बिना नकारे अपने अस्तित्व एवं अस्मिता के लिए पूर्णतया चैतन्य पूरा का पूरा स्त्री-विमर्श !
प्रस्तुत है थर्ड जेंडर विषय में चिन्तन को रचनात्मक आयाम देता, सर्वथा अछूते जीवन का यह मर्मस्पर्शी,
सशक्त, पठनीय एवं संग्रहणीय उपन्यास।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2023 |
Pulisher |
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