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Description
यात्रिक
कथाकार और उपन्यासकार के रूप में शिवानी की लेखनी ने स्तरीयता और लोकप्रियता की खाई को पाटते हुए एक नई जमीन बनाई थी जहाँ हर वर्ग और हर रुचि के पाठक सहज भाव से विचरण कर सकते थे। उन्होंने मानवीय संवेदनाओं और सम्बन्धगत भावनाओं की इतने बारीक और महीन ढंग से पुनर्रचना की कि वे अपने समय में सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखकों में एक होकर रही।
कहानी, उपन्यास के अलावा शिवानी ने संस्मरण और रेखाचित्र आदि विधाओं में भी बराबर लेखन किया। अपने सम्पर्क में आए व्यक्तियों को उन्होंने करीब से देखा, कभी लेखन की निगाह से तो कभी मनुष्य की निगाह से, और इस तरह उनके भरे-पूरे चित्रों को शब्दों में उकेरा और कलाकृति बना दिया।
‘जालक’ शिवानी के अंतर्दृष्टिपूर्ण संस्मरणों का संग्रह है जिसमें उन्होंने अपने परिचय के दायरे में आए विभिन्न लोगों और घटनाओं के बहाने से अपनी संवेदना और अनुभवों को स्वर दिया है।
आशा है, शिवानी के कथा-साहित्य के पाठकों को उनकी ये रचनाएं भी पसंद आएँगी।
चरैवेति
मॉस्को के प्रशस्त हवाई अड्डे पर हमारा ऐरोफ्लोट उतरा, तो सूर्य मध्य गगन में था। यह हवाई अड्डा एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अड्डा है, यहाँ से नित्य एक-एक घंटे में चार-चार हजार हवाई यात्रियों का आवागमन होता है। प्रत्येक सप्ताह 15 उड़ाने इस शेरी मेटिथो अड्डे से उत्तरी एवं दक्षिणी अमेरिका की ओर प्रस्थान करती हैं, 32 अफ्रीका एवं दक्षिणी-पूर्वी अफ्रीका को, 65 यूरोपीय देशों को एवं अन्य 80 उड़ाने विभिन्न देशों को जाती रहती हैं। ऐसी चहल-पहल मैंने अन्य किसी हवाई अडडे पर नहीं देखी। 300 यात्रियों को एकसाथ गोद में भर उड़ानेवाली एयरबस और विभिन्न देशों के प्रतीक्षारत अचल वायुयानों को देख, सहज ही में अनुमान लगाया जा सकता है कि अड्डा कितना विशाल है। इसकी तुलना में हमारे देश का अंतर्राष्ट्रीय अड्डा किसी बालक के खिलौने-सा ही प्रतीत होता है।
एक क्षण को उस वायुयान संकुल हवाई अड्डे की अस्वाभाविक निस्तब्धता देख भय-सा लगा। कहीं हमें लेने कोई नहीं आया तो ? मास्को हवाई अड्डे में किसी मेजबान का सहारा न हो, तो आगंतुक को अनेक कठिनाएयों से जूझना पड़ता है। यह चेतावनी भारत ही में मिल गई थी। हमारा तीन सदस्यीय नन्हा-सा डेलिगेशन गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 125 वीं जन्म तिथि में भाग लेने के लिए मास्को गया था, विश्वभारती के कुलपति डॉ. निमाई साधन बोस, गुरुदेव की विशेष स्नेह भाजना बँगला की प्रख्यात लेखिका मैत्रेयी देवी और मैं। मैत्रेयी देवी बहुत वर्ष पूर्व भी मास्को आ चुकी थीं।
एक तो लम्बी उड़ान की थकान, उस पर वार्धक्य की क्लान्ति ने हवाई अड्डे पर किसी को न देख बुरी तरह झुँझला दिया था- ‘‘यह भी क्या ? इतनी दूर से हमें बुलाया गया और लेने कोई भी नहीं आया, यह कैसा आतिथ्य है ?’’ हमने उन्हें धैर्य बँधाया ऐसा नहीं हो सकता। कोई न कोई अवश्य आया होगा, किन्तु उन्हें धैर्य बँधाने पर भी हम मन-ही-मन निराश हो चले थे। स्वच्छ-सुघड़ हवाई अड्डे के भीतर गए। तो एक से एक कठोर मुखमुद्राधारी द्वारपालों से अकेले ही जूझना पड़ा। किसी कक्ष में स्वयं प्रविष्ट हों, तो सामान बाहर धरें। कहीं सामान भीतर, तो हम बाहर ! बार-बार पासपोर्ट से हमारे चेहरे मिलाए जा रहे थे और फिर किस पासपोर्ट का चेहरा, पासपोर्टधारी के चेहरे से आज तक मिला है ? सबसे कठिन अग्निपरीक्षा थी, जब अन्तिम द्वार से हमारा गमन हुआ, न जाने कितने फॉर्म भरवाए गए, कितनी कैफियतें माँगी गईं, फिर तन और मन से थके हम तीनों बिना भीख मिले भिखारियों-से दाता के द्वार पर खड़े थे कि एक दुबली-पतली आकर्षक युवती भागती-भागती आई। हमारी साड़ियाँ देख वह समझ गई कि हम कौन हैं ! बार-बार क्षमायचना में दोहरी होकर मरियम ने विशुद्ध हिन्दी में कहा, ‘‘दोष हमारा नहीं है। आप लोगों की उड़ान का टेलेक्स हमें अभी मिला। आप लोग बाहर चलिए मैं अभी क्लियर कराके आती हूँ।’’
बाहर हमारा दुभाषिया आर्काडी हमारी प्रतीक्षा कर रहा था। दुबला-पतला सुनहरे बाल, गोरा-भभूका चेहरा। हमें देखते ही वह खिसियानी-सी हँसी हँसा। आर्काडी बँलगा के कवि जीवनानंददास पर शोध-कार्य कर रहा है एवं विशुद्ध बँगला बोलता है। देख हमें प्रसन्नता हुई, चलो डूबते को तिनके का सहारा तो मिला। चूंकी हम तीनों बँगला बोलते थे, इसी से हमें आर्काडी दुभाषिये के रूप में दिया गया था।
रूस में पग धरते ही जो पहली विशेषता हमें लगी थी, वह थी वहां के स्वस्थ चेहरे और स्वस्थ सड़कें। सड़के क्या थीं, किसी प्रशस्त शुष्क महानदी का चौड़ा पाट। एक साथ सौ कारें भी अलग-बगल चलें तो न टकराएं। न भीड़ न कलरव, गुमसुम सहमी ठीक जैसे किसी जवान सद्यः विवाहिता को सहसा वैधव्य ने डस लिया है। उस दिन ईश्वर कृपा से मौसम बेहद सुहावना था, गुलाबी धूप और चारों ओर गहन हरीतिमा।
Additional information
Authors | |
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Binding | Paperback |
ISBN | |
Language | Hindi |
Pages | |
Publishing Year | 2007 |
Pulisher |
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