Ye Aam Rasta Nahin

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Ye Aam Rasta Nahin

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250.00 210.00

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250.00 210.00

Author: Rajni Gupta

Availability: 10 in stock

Pages: 152

Year: 2013

Binding: Hardbound

ISBN: 9789350723579

Language: Hindi

Publisher: Vani Prakashan

Description

ये आम रास्ता नहीं

‘‘सिंहासन पर बैठी मृदु ने सोचा… सुरक्षाकर्मी अपने भालों से सिंह को मार देंगे।’’ यही स्वप्न तो यथार्थ है। रजनी गुप्त ने ‘ये आम रास्ता नहीं है उपन्यास में बड़ी खूबसूरती से इसी रूपक को उकेरा है। ‘यत्र नार्यिस्तु पूज्यन्ते’ का साक्षात् रूपक। स्त्री सिंहासन पर बैठी है, दोनों तरफ सिंह है, भाले ताने सुरक्षाकर्मी खड़े हैं। (सबसे बड़ा भ्रम है कि यह ताम-झाम उसके लिए है। नहीं। यह सब तो मौका ताक, उसे मार डालने के लिए है।… जैसा इन्दिरा गाँधी के साथ हुआ)।

उपन्यास एक स्त्री मृदु की महत्त्वाकांक्षा की कहानी भर नहीं है, हर स्त्री की छोटी-बड़ी महत्त्वाकांक्षा की कहानी है। प्राकृतिक, अर्जित, सब गुण हैं मृदु में। लेकिन उन्हें कोई सार्थक दिशा देने के स्थान पर भाई उसे अनुशासित करता है और शीघ्र ही उसका विवाह भी अयोग्य व्यक्ति से हो जाता है। पति उसे सहचर नहीं, वस्तु समझता है। मृदु उसकी उन्नति के लिए काम करे तो बहुत अच्छा, स्वयं के लिए कुछ सोचे तो नीच, कुलटा, बेहया ! पति ही क्यों हर पुरुष यही करता है। गजेन्द्र से लेकर सुकाम तक, हर व्यक्ति स्त्री को प्राकृतिक संसाधन मान, उसका दोहन करना चाहता है। राजनीति का तिलिस्म बिरला ही तोड़ पाता है। वहाँ केवल समझौते हैं। वरिष्ठ राजनेत्री का भी यही अनुभव है। ‘‘गिल्ट मत पालो’’ ये आम रास्ता नहीं है, केवल खास व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है। दादा-परदादा के जमाने से राजनीति चल रही हो या बेशुमार दौलत हो (कुर्सी खरीदने के लिए)। बाकी जो आम लोग हैं, विशेषकर स्त्रियाँ, अपनी एकमात्र सम्पत्ति देह को दाँव पर लगाने के लिए तैयार रहें। रजनी गुप्त का भाषा प्रांजल्य और उपन्यास की बुनावट पर अच्छा नियन्त्रण है। कथ्य अत्यन्त रोचक व ज्वलन्त है। क्यों यह रास्ता स्त्रियों के लिए बन्द है ?

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Hardbound

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Language

Hindi

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Publishing Year

2013

Pulisher

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