Ye Ishq Nahin Aasan

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Ye Ishq Nahin Aasan

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395.00 295.00

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Author: Shailendra Sagar

Availability: 5 in stock

Pages: 96

Year: 2024

Binding: Hardbound

ISBN: 9789357754873

Language: Hindi

Publisher: Bhartiya Jnanpith

Description

ये इश्क नहीं आसां

‘सिर्फ तुम्हारे लिए आई हूँ प्रमेश।’ उसने मेरे सीने पर सिर रखकर कहा, ‘तुमसे वह छोटी-सी मुलाकात और महीनों से रात-दिन चलती बातों ने मुझे पूरी तरह तुम्हारे प्यार की गिरफ्त में जकड़ लिया है। हर पल तुम मेरे दिलो-दिमाग पर छाये रहते हो। तुम्हें छूने और तुम्हें प्यार करने के लिए मेरे अन्दर अजब-सी तड़प पैदा हो गयी थी। मुझे हमेशा लगता कि जो शख्स दूर से मुझे इस तरह बाँध सकता है, उसका साथ कितना मादक होगा। आई लव यू सो मच प्रमेश…।’ उसके शब्द उसके चेहरे पर उभरे हुए थे, आँखों में तरलता थी और बाँहों में गजब का कसाव…। बड़ी मारक नजरों से वह मुझे देखती रही और फिर मेरे होंठों को बेतहाशा चूमने लगी।

मेरे अन्दर-बाहर नदी-सी उफनने लगी। बेकाबू से हम एक-दूसरे से प्यार करने लगे। प्रेम और देह के नये-नये रहस्यों को अनावृत करने लगे।

कभी लगता है न कि जीवन की एक लम्बी पारी खेलने के बाद भी संवेदना और देह के दोनों स्तरों पर अभी कितना कुछ जानना और खोजना शेष है।

‘निमिषा,’ उन अन्तरंग क्षणों में मैंने उसके बालों में उँगलियाँ फेरते हुए कहा, ‘जब से तुम मेरे जीवन में आयी हो मैंने अपनी जिन्दगी में एक नयी तरह की उत्तेजना को महसूस किया है। सिर्फ आवाज और तुमसे बातें करके ही तुम्हारा नशा मुझे तरंगित करने लगा था और उस सरसरी मुलाकात ने तो मुझे मदहोश कर दिया। जादूगरनी हो तुम।’

‘कम तुम भी नहीं हो, प्रमेश। सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी जिन्दगी में ऐसा रोमांचक मोड़ भी आएगा। कोई पुरुष मुझे इस तरह खींच सकता है और वो भी इस हद तक…। तुम्हारा सुरूर रात-दिन मुझ पर हावी रहने लगा है।’

– इसी पुस्तक से

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Authors

Binding

Hardbound

ISBN

Language

Hindi

Pages

Publishing Year

2024

Pulisher

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